नई दिल्ली। इंडियन मुजाहिदीन के कुख्यात आतंकी इरफान उर्फ उमर (49) को अरेस्ट कर लिया गया है। उसकी गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस के विशेष शाखा ने की।
इरफान पर दिल्ली-हावड़ा ट्रैन में बम ब्लास्ट व देश के कई शहरों में ब्लास्ट करने और निर्दोश लोगों की हत्या का आरोप है।
2010 में नेपाल पुलिस ने उसे जाली पेपर और पास्पोर्ट बनाकर वहां रहने के आरोप में पकड़ा था और उसे ५ साल की सजा के तहत सिंधूपाल जेल में रखा गया था। हालांकि नेपाल में अप्रेल माह में आए भूकंप से ये जेल गिर गई जिससे मौका पाकर वह भागने में कामयाब रहा। फरार होने के बाद भारत पहुंचा तथा बहराइच(उत्तर प्रदेश) में जाकर छुप गया था, यहीं से उसकी गिरफ्तारी हुई।
पुलिस उपायुक्त संजीव कुमार ने बताया कि बावरी मस्जिद ध्वस्त होने के बाद इरफान ने जेहाद के नाम पर युवाओं को बहला फुसलाकर पाकिस्तान भेजकर उनको ट्रैनिंग दिलाई थी। बाद में अपने आतंकी साथियों की मदद से 5 दिसम्बर 1993 की रात को उसने दो राजधानी ट्रैनों दिल्ली-हावड़ा और हावड़ा-दिल्ली के बीच चलने वाली ट्रैनों में बम बलास्ट करवाए थे।
इसके अलावा देश के कई शहरों कानपुर, हैदराबाद, इन्द्रगढ़, राजस्थान, सुरत, लखनऊ और गुलबर्ग में बम धमाके कराए थे। इसके बाद विशेष शाखा ने उसे जनवरी1994 में पकड़ा कर सीबीआई के हवाले कर दिया था। इसके बाद सीबीआई ने डा.जालीस अंसारी,जमाल अल्वी समेत 15 आतंकवादियों को गिर तार किया था।
तिहाड़ जेल में बंद रहने के दौरान 1996-99 में उसकी मुलाकाल आईएम के संस्थापक आसिफ रजा खान से हुए। जिसके बाद उनके बीच आंतकी वारदातों को लेकर कई मुद्दों पर सहमति बनी। जून 2001 में जमानत पर बाहर आते ही इरफान कलकत्ता गया और आसिफ के साथी रजा खान से मिला। वहां पर ईमेल करना सीखा।
इसके बाद आसिफ ने उसे नेपाल में आईएम का मुख्यिया बनाकर भेजा। जहां उसने काठमांडू आम नागरिक की तरह रहना शुरु किया और चुप चाप जैकेट बम बनाने के साथ-साथ युवाओं को जेहाद का पाठ पढ़ाकर आतंकी ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजा।
वहां से तैयार होने के बाद उन्हें नेपाल के रास्ते भारत में लाकर छुपाया ताकि आंतकी गतिविधियों को आसानी से अंजाम दिया जा सके। इरफान ने अपने बेटे मो.इसा(23)को भी इसी काम में लगाया था। हालांकि 2006 में उसे मुंबई मे पकड़ा लिया गया था। जो आजकल मुंबई की जेल में बंद है।