हैम्बर्ग। तेजी से उभरते संरक्षणवाद को खारिज करते हुए भारत समेत जी20 के देशों ने शनिवार को संरक्षणवाद से लड़ने और बाजार को खोलने पर सहमति जताई। इसके अलावा भष्ट्राचार, मनी लांड्रिंग, कर चोरी और आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकने पर भी सहमति जताई।
काले धन के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए हैम्बर्ग कार्ययोजना में में दोदिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन विकसित और विकासशील देशों ने अगले साल सितंबर से सभी संबंधित न्यायाधिकार क्षेत्रों के वित्तीय सूचना के स्वचालित आदान-प्रदान शुरू करने पर सहमति जताई।
उन्होंने संस्थाओं द्वारा कर निवारण की जांच करने के लिए आधार क्षरण और लाभ साझेदारी (बीईपीएस) पैकेज के कार्यान्वयन का वादा किया था, जो वास्तव में कम या ना कर स्थानों के मुनाफे में बदलाव करते थे।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन में अपने भाषण में कहा था कि संरक्षणवाद में वृद्धि वैश्वीकरण के लाभ को रोकती है। मोदी ने कहा कि जी20 को बाजार को खोलने के समर्थन में एक सुर में बोलना चाहिए। हमें उम्मीद है कि जी20 नेतृत्व सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्य करने के लिए तैयार होंगे।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश विकास, उत्पादकता, नवीनता, रोजगार सृजन और विकास के महत्वपूर्ण इंजन हैं।
सम्मेलन में मेजबान जर्मनी की चांसलर एंजेल मर्केल का 12 पन्नों का एक लिखित बयान पढ़ा गया कि हम नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं। हम द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय करारों के महत्व को ध्यान में रखते हैं, जो खुले, पारदर्शी, समावेशी और विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप हैं।