गैजट्स की दुनिया में रोज नए बदलाव आते रहते हैं। और यदि कोई कंपनी इन बदलावों को इग्नोर करती है या अपनाने में देरी करती है तो उस पर बाजार से बाहर होने का खतरा रहता है। जो कंपनी इन बदलावों को जल्द अपना लेती है वही बाजार में कामयाब होती है। लेकिन कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है की इन चेंजेज को अपनाने के बाद भी मार्केट में पिछड़ गई।
इसमें आप एक अच्छे उदाहरण के तौर पर नोकिया को देख सकते हैं, जो किसी जमाने में मार्केट पर राज करती थी। किन्तु समय का साथ बदलाव नहीं कर पाने की वजह से पिछड़ गई और उसे अपना स्मार्टफोन बिजनेस बेचना पड़ा। आइएं, जानते हैं कुछ ऐसे ही इनोवेशन जो फ्लॉप हुए…
स्मार्ट स्क्रॉल
इस आइडिया को कंपनी की बेवकूफी भी कह सकते हैं। सैमसंग का स्मार्ट स्क्रॉल फ्रंट कैमरे माध्यम से यूजर के सिर के मूवमेंट को ट्रेक करता था और स्क्रीन के कॉन्टेंट को स्क्रॉल करता था, जबकि यही काम अपनी अंगुलियों के द्वारा भी कर सकता है तो सिर के मूवमेंट क्या जरूरत है।
नेक्स्टबिट स्मार्टस्टोरेज
नेक्स्टबिट ने क्लाउड स्टोरेज कंपनी के तौर पर शुरुआत की थी। कंपनी ने स्मार्ट स्टोरेज टेक्नॉलजी का आइडिया पेश किया था जिससे स्मार्टफोन का कॉन्टेंट क्लाउड पर सेव हो जाता था जिससे फोन की मेमरी खाली हो जाती थी। इस डिवाइस में काफी बग थे। अगर आप प्रॉपर वाई-फाई कनेक्टिविटी वाली जगह पर न हों तो दिक्कत हो जाती थी।
एयर व्यू
सैमसंग ने स्मार्टफोन के लिए एक ऐसा फीचर पेश किया जिसके द्वारा आप स्क्रीन पर अंगुली या स्टाइल्स होवर करके किसी भी फाइल को प्रिव्यू कर सकते थे, लेकिन यह केवल सैमसंग के अपने ऐप्स के साथ ही काम करता था। यह फीचर आपको अभी भी पुराने गैलेक्सी स्मार्टफोन में देखने को मिल जाएगा।
गैलक्सी बीम का प्रॉजेक्टर
सैमसंग ने मोटोमॉड्स आने से पहले ही स्मार्टफोन में अतिरिक्त विशेषताएं देने की कोशिश की थी। कंपनी ने गैलेक्सी बीम स्मार्टफोन में मिनी प्रोजेक्टर पेश किया। यह आइडिया अच्छा था, परन्तु स्मार्टफोन की पावर कम थी और प्रोटेक्टेड फोटो अच्छी भी नहीं थी।
मोटोरोला स्किप
मोटोरोला स्किप के पीछे का आइडिया तो काफी अच्छा था लेकिन कंपनी इसे सही तरह से नहीं ला पाई। यह एक छोटी सी मैग्नेटिक चिप थी जिसमें एनएफसी टैग लगा था। इसको स्मार्टफोन से पेयर करके पॉकिट या बैग में रखा जा सकता था। यूजर को अपने फोन को इस स्ट्रिप के ऊपर स्वाइप करना होता था और फोन अनलॉक हो जाता था, लेकिन इसमें एक प्रॉबलम थी कि यह फोन फोन को अनलॉक करने में 5 स 10 सेकेंड लगाती थी, जो काफी ज्यादा थी।
ई-पेपर डिस्प्ले
योटा फोन एक रेग्युलर एंड्रॉइड हैंडसेट था लेकिन इसमें एक अतिरिक्त फीचर ई-पेपर डिस्प्ले लगा था। कंपनी का सोचना था कि इसके पीछे लेग डिस्प्ले जरिए नोटिफिकेशन आदि देख सके ताकि मेन डिस्प्ले को ऑन ना करना पड़े। सेकेंडरी डिस्प्ले पर टेक्स्ट रीडिंग भी की जा सकती थी। कंपनी का यह प्लान हिट नहीं हो सका।
डाइनैमिक पर्सपेक्टिव
अमेजॉन का फायर फोन एक सामान्य स्मार्टफोन था जिसमें डाइनैमिक पर्सपेक्टिव फीचर दिया गया था। इसमें आईआर ब्लास्टर और कैमरा सेंसर यूजर के बॉडी मूवमेंट्स को ट्रैक करते थे और उसी हिसाब से डिस्प्ले के कॉन्टेंट को मूव करते थे। यह फीचर उस वक्त काफी पसंद किया गया मगर डिवेलपर्स के बीच पॉपुलर नहीं हो पाया।
सोनी एरिक्सन एक्सपीरिया प्ले
बहुत कम लोग है जो स्मार्टफोन पर फूल गेमिंग करते हैं क्योंकि टचस्क्रीन पर गेम्स कंट्रोल करने की सुविधा नहीं रहती। इसलिए सोनी ने एक्सपीरिया प्ले स्मार्टफोन में स्लाइडिंग गैमपेड पेश किया, लेकिन जिस समय यह आया उस समय प्लैटफॉर्म पर ज्यादा गेम्स नहीं थे।
एचटीसी का किटस्टैंड
स्मार्टफोन की शुरुआत में यूजर्स में बड़ी साइज के फोन्स काफी पॉपुलर रहे, जिन्हें वे फिल्में या वीडियो देखने के लिए खरीदते थे। स्मार्टफोन को थोड़ा सा ऐंगल पर रखकर वीडियो देखने के लिए एचटीसी ने इसमें पीछे एक किकस्टैंड लगाया। कंपनी को लगा कि यह अधिक सुविधाजनक होगा। लेकिन इसके अतिरिक्त पैसे कौन खर्च करता। यह सुविधा तो स्टैंड वाले कवर में भी हो सकती है इसी कारण कंपनी का यह इनोवेशन नहीं चला।
मोटोरोला अट्रिक्स वेबडॉक लेपटॉप
मोटोरोला के इस अनोखे डिवाइस ने लोगों का ध्यान अपनी खिंचा था। इसकी खासियत यह थी कि जब स्मार्टफोन को वेबडॉक से जोड़ा जाता तो यह लिनक्स आधारित कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म में बदल जाता था। कंपनी का यह इनोवेशन काफी अच्छा था लेकिन स्मार्टफोन कंप्यूटिंग का काम करने में तेज नहीं था और यह महंगा भी बहुत था। इसमें आप एक कंप्यूटर खरीद सकते थे।