सबगुरु न्यूज। गंवरी नंदन गणेश को प्रणाम कर भगवान शंकर पार्वती जी का स्मरण कर गणेश जी की उत्पत्ति की कथा की एक झांकी प्रस्तुत करते हैं। पुराण के रचयिता व्यास जी ने शिव पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण ओर लिंगपुराण में गणेश जी की उत्पत्ति की कथा अलग अलग बताई।
शिव पुराण के अनुसार पार्वती जी ने अपने शरीर से उबटन उतार कर एक बच्चे की मूर्ति बना उसमें प्राण डाल दिया ओर गणेश जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मवैवर्त पुराण में पार्वती ने संतान प्राप्ति के लिए पुणयक व्रत किया श्री विष्णु भगवान के लिए। व्रत के फल के रूप में विष्णु जी ने अपने अंश से एक बालक शिव पार्वती के निवास स्थान पर छोड़ दिया वे गणेश जी कहलाए।
लिंग पुराण के अनुसार पार्वती जी शादी के बाद गंगा में स्नान करने गई और अपने शरीर का उबटन गंगा में उतार दिया। थोड़ी देर बाद गंगा ने उस उबटन का एक बालक बना और उसमें प्राण डाल दिया तथा पार्वती जी को दे दिया।
कथाएं जो भी हों श्री गणेश अग्रपूजा के अधिकारी हैं। शास्त्रों की मान्यता के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन गणेश जी की उत्पत्ति हुई थी तथा भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन गजानन के रूप में इनका जन्म हुआ था। इस कारण गणेश जयन्ती भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाई जाती है।
रक्तचंदन, दूर्वा व मोदक गणेश जी को अति प्रिय है। समस्त मांगलिक कार्यों में सर्व प्रथम गणेश जी की ही पूजा की जाती है ताकि कार्य में कोई बाधा नहीं आए।
सौजन्य : भंवरलाल