उदयपुर। बहुचर्चित आनंदपाल एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह ने बुधवार को उदयपुर में मीडिया के सामने खुलकर आए और इसे पूरी तरह फेक एनकाउंटर बताया। उन्होंने बार-बार कहा कि आनंदपाल सरेंडर करना चाहता था और इस बारे में राज्यपाल और जयपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के निवास पर उन्होंने (एडवोकेट) खुद चर्चा की थी।
उन्होंने बताया कि आनंदपाल मीडिया के सामने उदयपुर में आत्मसमर्पण करना चाहता था, इसके लिए एक मीडियाकर्मी और न्यूज चैनल से भी चर्चा की गई थी। आनंदपाल मुख्यधारा में आना चाहता था और जान का खतरा होने के कारण मीडिया के सामने उदयपुर और उदयपुर की जेल में सरेंडर करना चाहता था। आनंदपाल को उदयपुर की सेंट्रल जेल ही सुरक्षित लगी थी।
उदयपुर में क्षत्रिय महासभा के आर्थिक आरक्षण आंदोलन के तहत हो रही सभा में आए एडवोकेट एपी सिंह ने सीबीआई से अपील की है कि वह इसकी निष्पक्षता से जांच करे। हालांकि, वे यह कहने से भी नहीं चूके कि सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायमूर्ति सीबीआई को सरकार का पिंजरे में बंद तोता कह चुके हैं। एपी सिंह ने कहा कि सीबीआई को इस छवि से उबरना चाहिए।
कटारिया की भूमिका के बारे में एडवोकेट एपी सिंह ने कहा कि उनसे मुलाकात में यह महसूस हुआ था कि कटारिया भी आनंदपाल को मुख्यधारा में लाना चाहते हैं, यदि उन्हें पुलिस की इस प्लानिंग का पता होता तो शायद वे ऐसा नहीं होने देते। उन्होंने बाद में कहा भी कि उन्हें इसकी जानकारी मुख्यमंत्री से मध्यरात्रि में मिली।
कटारिया ने सरेंडर के सम्बंध में चर्चा के दौरान आनंदपाल के मांगपत्र पर हाईलेवल कमेटी बिठाने की बात कही थी और उनसे (एडवोकेट) से कहा था कि कब, कहां सरेंडर करना है, वे कनवे कर देंगे। इन सबके बावजूद एडवोकेट एपी सिंह ने इसे राजनीति का षडयंत्र बताते हुए कहा कि मामले में दोष-निर्दोष न्याय के मंदिर अदालत में तय होंगे, लेकिन कुछ तो मजबूरियां रही होंगी कि आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ।
वर्ना हनीप्रीत का भी हो जाता एनकाउंटर!
एडवोकेट एपी सिंह ने कहा कि हनीप्रीत के मामले में भी उन्होंने पहले न्यूज चैनल के जरिये हनीप्रीत का इंटरव्यू करवाया ताकि जनता तक यह बात पहुंच जाए कि वह मुख्यधारा में आना चाहती है, वर्ना इस बात की पूरी आशंका थी कि उसके साथ भी आनंदपाल वाली कहानी दोहरा दी जाती और जनता तक अलग-अलग कहानियां परोस दी जातीं।