लखनऊ/नई दिल्ली। करीब एक पखवाड़े से जारी ऊहापोह के बीच मंगलवार को गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल (कौएद) का सपा में विलय हो गया।
समाजवादी पार्टी के महासचिव तथा उत्तर प्रदेश मे पार्टी के चुनाव प्रभारी शिवपाल सिंह यादव ने कौमी एकता दल को अपनी पार्टी में शामिल करने की विधिवत घोषणा की।
इस अवसर पर मुख्तार अंसारी के भाई एवम कौएद के अध्यक्ष अफजाल अंसारी भी मौजूद थे। लेकिन पिछले 24 घंटे के दौरान कभी हां, कभी ना का जो दौर इस मामले मे चला, उससे यह पुष्ट हो गया कि सपा मे अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
माफिया से नेता बने दो विधायकों के इस दल का आज जिस तरीके से समाजवादी पार्टी में विलय हुअा उसको लेकर राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं हैं।
माना जा रहा है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस विलय के पक्ष में नहीं थे लेकिन मुख्तार अंसारी के भाई और कौमी एकता दल के अध्यक्ष अफजाल अंसारी दिन में शिवपाल सिंह यादव से मिले और पार्टी के विलय की औपचारिकता को सुनिश्चित किया।
इसके बाद ही कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने अपने वीटो का प्रयोग कर आगरा जेल में बंद गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल से समझौता कर लिया।
इस मौके पर शिवपाल ने कहा कि अंसारी की समाजवादी पार्टी में घर वापसी हुई है। उन्होंने कहा कि मुख्तार तथा अफजाल अंसारी की वजह से समाजवादी पार्टी मजबूत होगी। हम मुख्तार और अफजाल का पार्टी में स्वागत करते हैं। शिवपाल ने कहा कि प्रदेश में सरकार बहुत कुछ कर रही है। चार वर्ष में हर क्षेत्र में विकास की राह हर क्षेत्र में खुली है।
उन्होंने कहा कि हम सभी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। हमको भरोसा है कि समाजवादी पार्टी की प्रदेश की सत्ता में वापसी होगी। अफजाल अंसारी ने कहा कि वर्ष 1994 से मैंने मुलायम सिंह यादव के मार्गदर्शन में काम किया है। अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं की ओर से मुलायम सिंह यादव व शिवपाल सिंह यादव के बयान का हम स्वागत करते है।
कौमी एकता दल के माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी मऊ से और बड़े भाई सिबकतुल्ला अंसारी मोहम्मदाबाद से विधायक हैं। इनके एक भाई अफजाल अंसारी कौमी एकता दल के अध्यक्ष हैं। अफजाल अंसारी 2004 में गाजीपुर से सांसद थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन पराजय का मुंह देखना पड़ा। इस विलय से सपा पूर्वांचल में मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश में है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और दो विधायकों वाले कौमी एकता दल के बीच गठजोड़ के कयासों पर विराम लग गया था। क्योंकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसके लिए साफ इनकार कर दिया था। वर्ष 2012 के चुनाव के समय भी अखिलेश यादव ने डीपी यादव को समाजवादी पार्टी में लेने से इनकार किया था जिसका मतदाताओं के बीच अच्छा संदेश गया था।