सबगुरु न्यूज-आबूरोड। शराब बंदी को लेकर आदिवासियों की मुहिम को सोमवार को दर्ज एफआईआर ने हतोत्साहित करने की बजाय और प्रबल कर दिया। इस एफआईआर को शराबबंदी के लिए आदिवासियों की मुहीम को धक्का पहुंचाने का कथित राजनीतिक और प्रशासनिक प्रयास करार देते हुए आदिवासियों ने मंगलवार सवेरे सांतपुर के पास आदिवासियों ने जाम लगा दिया था।
वहीं शाम को आबूरोड सदर थाने में दर्ज करवाई गई एफआईआर के संबंध में पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर इसकी जांच किसी अन्य व्यक्ति को देने और आबूरोड सदर थानाधिकारी पर शराब व्यवसायियों का पक्ष लेते हुए शराब बंदी की मुहीम में लगे आदिवासियों को इस मुहिम को रोकने के लिए धमकाने का आरोप भी लगाया।
आदिवासी शराबबंदी को लेकर जिले में लम्बे समय से प्रयासरत हैं। इतना ही नहीं शराबबंदी को लागू करने के लिए इन आदिवासियो ने अपने समाज के नियम भी कडे कर दिए। इसके लिए सम्मेलन आयोजित किए, जिसमें शराब से बर्बाद हुए परिवारों के लोगों ने अपनी व्यथा समाज के समाने रखते हुए शराबबंदी की आवश्यकता के लिए एकजुट होने के लिए प्रेरित किया। सकारात्मक रूप से शांतिपूर्ण आंदोलन को शराब ठेकेदार की ओर से सोमवार को दर्ज करवाई गई एफआईआर से ठेस पहुंची। इसमें ठेकेदार आबूरोड निवासी सोहनलाल पुत्र रमेश कुमार राणा ने आबूरोड पंचायत समिति के प्रधान समेत कई लोगों के खिलाफ उसकी दुकान को जलाने की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
इसमें उसने बताया कि जाम्बुड़ी में उनकी देशी शराब की दुकान स्वीकृत हुई है। नियमानुसार लोकेशन स्वीकृत होने पर उसने लकड़ी का केबिन बनवाकर वहां रखवाया। पंचायत समिति प्रधान लालाराम, सदस्य लीलाराम के कहने पर 23 अप्रेल को देर रात को शाहरूख खान, इमरान खान, आजम खान आदि उसकी दुकान की केबिन तोड़कर घुस गए और दुकान में आग लगा दी, जिससे उसे आर्थिक नुकसान हुआ है। यह एफआईआर दर्ज करने के बाद मंगलवार ने शराबबंदी को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन उग्र हो गया। आदिवासियों ने एकजुट होकर मंगलवार सवेरे आबूरोड के निकट सांतपुर के पास हाइवे जाम कर दिया है।
इस एफआईआर को लेकर मंगलवार को प्रधान लालाराम गरासिया व अन्य लोग पुलिस अधीक्षक से भी मिले थे। इन्होंने आबूरोड सदर थानाधिकारी को शराबबंदी की मुहिम को हतोत्साहित करने के लिए आदिवासियों को चेतावनी देने का आरोप भी लगाया। उन्होंने इस एफआईआर की जांच स्थानांतरित करवाने की मांग की ताकि थानाधिकारी के कथित पूर्वाग्रह युक्त जांच से उग्र आंदोलन नहीं होवे। इस संबंध में लालाराम गरासिया व अन्य आदिवासी सिरोही डाक बंगले में पूर्व विधायक संयम लोढ़ा से भी मिले थे।