![मावली में चौराहे पर जुटे आदिवासी, रात भर हुई गवरी मावली में चौराहे पर जुटे आदिवासी, रात भर हुई गवरी](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2017/09/mavli-gavri-01.jpg)
![](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2017/09/mavli-gavri-01-600x350.jpg)
सबगुरु न्यूज उदयपुर। राखी के दूसरे दिन से मेवाड़ में गवरी खेलने का दौर जारी है। सदियों से चली आ रही परंपरा को सहेजते हुए गरासिया और भील जाति के लोग इन दिनों ग्रामीण इलाकों के साथ ही शहर में भी गवरी खेल रहे है।
उदयपुर के निकट मावली कस्बे में मंगलवार देर रात गवरी का मंचन किया गया। गवरी देखने के लिए कस्बे के लोग जुटे। सारी रात माहौल जमा और सुबह चार बजे तक सभी मंचन स्थल पर जमे रहे।
मावली में रात 10 बजे से गवरी का मंचन प्रारम्भ हुआ। कस्बे के मुख्य चौराहे पर हो रहे गवरी नृत्य को देखने के लिए पूरा कस्बे उमड़ पड़ा। रात 10 बजे से शुरू हुई गवरी सुबह चार बजे तक चली।
गवरी के मुख्य खेलों में मीणा-बंजारा, हठिया, कालका, कान्ह-गूजरी, शंकरिया, दाणी जी, बाणियां, चपल्याचोर, देवी अंबाव, कंजर, खेतुड़ी, बादशाह की सवारी का मजा लिया।