बर्लिन। जर्मनी में संसद के निचले सदन ने बुर्का पर आंशिक प्रतिबंध से संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी। अब इसे उच्च सदन में पेश किया जाएगा। विधेयक लोक सेवकों, न्यायाधीशों तथा जवानों को कार्यस्थल पर बुर्का पहनने से प्रतिबंधित करता है।
विधेयक को गुरुवार को संसद के निचले सदन से मंजूरी दी गई। इसके बाद गृह मंत्री थॉमस दे मेजयेर ने कहा कि यह कदम दर्शाता है कि जर्मनी किस हद तक अन्य संस्कृतियों के प्रति सहिष्णु रवैया अपना सकता है।
जर्मनी की दक्षिणपंथी पार्टियां चाहती हैं कि देश इस मामले में फ्रांस का अनुसरण करे, जहां 2011 से ही बुर्का पर पूरी तरह प्रतिबंध है।
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि यदि कानूनन संभव हो तो बुर्के पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि यह उनके देश के लिए उचित नहीं है।
जर्मनी के बवारिया राज्य ने फरवरी में कार्यस्थलों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों में काम करते वक्त और वाहन चलाते समय बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने की योजना घोषित की थी।
उल्लेखनीय है कि पिछले 18 माह में मध्य-पूर्व के मुस्लिम देशों के नागरिकों सहित बड़ी संख्या में प्रवासी यहां पहुंचे हैं।
बुर्का पर प्रतिबंध का यह कदम बर्लिन में बीते दिनों क्रिसमस बाजार पर हमले के बाद आया है, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई।
फ्रांस, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम और तुर्की में कुछ निश्चित स्थानों पर बुर्का पहनना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
वहीं, नीदरलैंड्स में भी बुर्का पर प्रतिबंध से संबंधित कानून का समर्थन किया जा रहा है, जबकि डेनमार्क, रूस, स्पेन व स्विट्जरलैंड जैसे देशों में बुर्का पर स्थानीय प्रतिबंध लागू हैं।