जयपुर। दीनदयाल वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि राजस्थान सरकार पूरी तरह से एक व्यक्ति पर केंद्रीत हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत में अब लोकतंत्र पर प्लूटोक्रेसी और पार्बोक्रेसी हावी होती जा रही है।
लोकतंत्र का मुखौटा पहने जातिवाद और क्षेत्रवाद सामने आकर वास्तविक लोकतंत्र को लील रहे हैं। तिवाड़ी स्वतंत्र पत्रकार बाल मुकुंद ओझा की पुस्तक ‘लोकतंत्र का पोस्टमार्टम’ के विमोचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे।
तिवाड़ी ने पुस्तक ‘लोकतंत्र का पोस्टमार्टम’ के शीर्षक की तारीफ करते हुए प्रदेश सरकार पर भी निशाना साधाते हुए कहा कि यूपी, तमिलनाडू के बाद राजस्थान में लोकतंत्र की जो दुर्गति हुई है उस आधार पर पुस्तक का नाम सटीक अर्थ पेश करता है।
प्रदेश सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि अधिकांश राज्यों में आंतरिक लोकतंत्र समाप्त हो चुका है। जिससे पार्टीयों का वैचारिक ढर्रा ही चरमर्रा गया है, पार्टी के स्वयं के विचार गौण होकर सबकुछ एक व्यक्ति आधारित कहा सुना जाने लगा है।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों यूपी, तमिलनाडू और राजस्थान में जो कुछ हुआ है उसे लोकतंत्र का ड्रामा कहना जायज होगा और अब इस ड्रामे का पोस्टमार्टम करना जरूरी दिखाई पड़ता है।
तिवाड़ी ने कहा कि प्रदेश में हाल ही राजस्थान सरकार द्वारा पदों की बंदरबांट हुई है वह किसी व्यवस्था, संगठन या योग्यता के आधार पर नहीं की गई, ये नियुक्ति दाता के निहितार्थ को ध्यान में रखकर की गई थी।
जिनमें भी नियुक्त अधिकांश व्यक्तियों का भाजपा या राजस्थान से कोई संबंध नहीं था, परंतु फिर भी सत्तासीन लोगों ने इसे सिर झुकाकर स्वीकार कर लिया।
लोकतंत्र के अभाव में मंत्रिमंडल ठप्पा कैबिनेट में बदल गया है। वहीं तिवाड़ी ने मुख्यमंत्री द्वारा जातिय आधार पर मंत्रियों से मुलाकात को भी लोकतंत्र के खिलाफ बताया।
तिवाड़ी ने स्वतंत्र पत्रकार बाल मुकुंद ओझा के कार्यों की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने अपने सशक्त लेखन के माध्यम से अनेकों सामाजिक विषयों को उठाकर अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन अच्छे से किया है।