Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
अनुशासनहीनता के नोटिस पर घनश्याम तिवाडी का आलाकमान को तल्ख जवाब - Sabguru News
Home Headlines अनुशासनहीनता के नोटिस पर घनश्याम तिवाडी का आलाकमान को तल्ख जवाब

अनुशासनहीनता के नोटिस पर घनश्याम तिवाडी का आलाकमान को तल्ख जवाब

0
अनुशासनहीनता के नोटिस पर घनश्याम तिवाडी का आलाकमान को तल्ख जवाब
Ghanshyam Tiwari replies to bjp notice over indiscipline
Ghanshyam Tiwari replies to bjp notice over indiscipline
Ghanshyam Tiwari replies to bjp notice over indiscipline

जयपुर। राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर बीजेपी की रार खुलकर सामने आ गई। सीएम वसुंधरा राजे और वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाडी के बीच जारी शीत युद्ध अब आर पार की जंग में तब्दील हो चुका है। हाल ही में आलाकमान की ओर से तिवाडी को जारी अनुशासनहीनता के नोटिस ने आग में घी का काम किया और इससे मामला और बिगड गया। अब तक संगठनात्मरूप से सारे मामले पर पडा पर्दा भी उठ गया। तिवाडी ने भी खुद को मिले नोटिस का तल्ख जवाब दिया है।

प्रिय गणेशीलालजी,
आपके हस्ताक्षर युक्त नोटिस प्राप्त हुआ। पढ़कर ध्यान में आया —

रामचंद्र कह गए सिया से, ऐसा कलजुग आएगा
हंस चुगेगा दाना दुनका, कौवा मोती खाएगा

आपके नोटिस से राजस्थान की राजनीति में यह बात चरितार्थ होती दिखाई दे रही है। राजस्थान में वे लोग जिनकी विचारधारा, कार्यकर्ताओं, संगठन, और जनता के प्रति कोई निष्ठा नहीं है — वे पार्टी के द्वारा पुरस्कृत हैं। वे कार्यकर्ता जिन्होंने अपना पूरा जीवन खपा दिया, आपातकाल में मृत्युतुल्य पीड़ा सही, विपरीत परिस्थितियों का सामना कर जनसंघ, जनता पार्टी और फिर भाजपा को प्रदेश में खड़ा किया, जो आज भी दीनदयालजी, दत्तोपंतजी, बालासाहेब के विचार और दर्शन के प्रति अपनी निष्ठा क़ायम रखे हुए हैं, जो प्रदेश की राजनीति में शुचिता के लिए संघर्षरत हैं — वे पार्टी के द्वारा तिरस्कृत हैं।

पट्टों पर मुख्यमंत्री की तस्वीर विधिविरूद्ध व अनैतिक : तिवाड़ी
कुछ लोगों ने राज करना अपना जन्मजात अधिकार समझ लिया :…

आपका नोटिस तिरस्कार कर रहा है सच्ची निष्ठा का। आपका नोटिस अपमान कर रहा है राजस्थान के हर उस कार्यकर्ता का जिसने श्रेष्ठ-मूल्यों के प्रति समर्पण की भावना के साथ अपना जीवन राजनीति में खपाया। आपका नोटिस राजस्थान के स्वाभिमान पर आघात है। और अगर आप यह सोचते हैं कि इस नोटिस से घबरा कर राजस्थान के कार्यकर्ता इस भ्रष्ट और निकृष्ट नेतृत्व के सामने झुक जाएंगे तो मैं बतला दूं कि राजस्थान न झुका है, न झुकेगा, बल्कि एक नया इतिहास रचेगा।

और इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2015 में मुख्यमंत्री के गुर्गों द्वारा भाजपा के प्रशिक्षण शिविर में मेरे साथ की गयी बदसलूकी और जानलेवा हमले की साज़िश तथा 6 मई 2017 को आपके द्वारा भेजे गए अनुशासन हीनता के प्रशस्ति पत्र से मानी जाएगी। यदि आप राजस्थान के पार्टी कार्यकर्ताओं को अनुशासन के नाम पर दु:शासन बनने और राजस्थान की जनता का चीरहरण करने के लिए कहेंगे तो मैं आपको बतला दूं वे इसके लिए तैयार नहीं हैं। वे राजस्थान की रक्षा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र बनकर उठ खड़े होंगे।

आपका नोटिस केवल मुझे नहीं मिला है। आपका नोटिस राजस्थान के हर उस निष्ठावान कार्यकर्ता को मिला है जिसका प्रदेश के भ्रष्ट और सामंतवादी नेतृत्व द्वारा दमन किया जा रहा है। आपका नोटिस राजस्थान के हर उस स्वाभिमानी नागरिक को मिला है जो इस नेतृत्व से भयंकर रूप से पीड़ित और परेशान है और इससे छुटकारा चाहता है।

भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने मनरेगा पर सरकार को घेरा
बीजेपी से रूठे घनश्याम तिवाडी ने दिखाई ताकत, पार्टी नेतृत्व पर बरसे

प्रदेश नेतृत्व किस प्रकार के गुणों की खान है वह तो आपसे भी छिपा नहीं है। भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने दसियों बार राजस्थान के हर जिले में और पार्टी के हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में प्रदेश नेतृत्व की रीति-नीति के प्रति अपना दुःख और आक्रोश व्यक्त किया है।

संघ से जुड़े सभी संगठन मज़दूर संघ, किसान संघ, शिक्षक संघ, विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, यहां तक कि स्वयं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक तक सड़कों पर उतर कर इस सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर चुके हैं। लेकिन किसी की भी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही। केवल सामन्तवाद के रंग-ढंग के आगे पार्टी नतमस्तक हो रही है।

वैसे जिस भावना से आपने नोटिस दिया है वह मैं समझ सकता हूँ। हमलोग रामभक्त तो हैं हीं, इसलिए उनके उपर्लिखित वचन को संसार में शीघ्रातीशीघ्र सिद्ध करना हमारा धर्म बन जाता है — हमारे प्रयासों से हम कैसे जल्दी से जल्दी ऐसा कलियुग लाएँ जिसमें हंस दाना-दुनका चुगें और कव्वे मोती खाएं इसी में तो हमारी रामजी के प्रति भक्ति की परीक्षा छिपी है!

भ्रष्टाचारियों, सूदखोरों को बहिष्कृत किया जाए : घनश्याम तिवाडी
घनश्याम तिवाडी ने जन्मदिवस पर दिखाई पॉलीटिकल ताकत

इसके लिए हम सब सिद्धांतों और मूल्यों को ताक पर रख कर येन-केन-प्रकारेण सत्ता की प्राप्ति में भी लगे हैं। हे गणेशीलालजी, इस पवित्र ईश्वरीय कार्य की सिद्धि के लिए आपको ऊपर से आदेश मिला और आपकी कलम इसका निमित्त बनी इसके लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं! प्रभु आप पर अपनी ये कृपा सदैव बनाए रखे!

आपने 4 प्रश्न पूछे हैं, क्रमवार उनका जवाब दूंगा। सबसे पहले इस बात का कि मैं पार्टी की बैठकों और कार्यक्रमों में क्यों नहीं जा रहा हूँ?

हां, यह सही है कि मैं पार्टी के कार्यक्रमों और बैठकों में नहीं जा रहा हूं। इसका प्रमुख कारण है कि मुझे वहां जान का ख़तरा है। 2 अक्टूबर 2015 को भाजपा के प्रशिक्षण शिविर में मुझे मुख्य-अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। मैं जब वहां पहुंचा तो पहले गेट पर मेरे साथ मुख्यमंत्री के गुर्गों द्वारा बदसलूकी की गई और फिर कुछ गुंडातत्वों द्वारा मुझ पर जानलेवा हमला किया गया। इस हमले में मेरे हाथ में फ़्रैक्चर भी हो गया।

आप अपने ध्यान में लाएं कि राजस्थान में मुझ पर हुआ इस प्रकार का यह पांचवा हमला था। इसके पहले 4 बार मुझ पर हमले का प्रयास किया जा चुका था। एक बार तो राजधानी जयपुर में पिंकसिटी प्रेस क्लब के बाहर मेरी प्रेस-वार्ता के दौरान यह दु:साहस किया गया। समय पर पुलिस फ़ोर्स के वहाँ आ जाने के कारण घटना टल गयी।

इन हमलों के पहले वर्तमान भाजपा सरकार ने (जिसमें भाजपा का ख़ाली नाम ही बचा है, बाक़ी सब तो लुट गया है) कांग्रेस शासनकाल में मुझे और मेरे परिवार को दी गयी सुरक्षा हटा दी। इसकी जानकारी मैंने पत्र के माध्यम से राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष, राजस्थान के राज्यपाल और भारत के गृहमंत्री को भिजवा दी थी।

पहले मेरी सुरक्षा को हटाया जाना और उसके बाद लगातार पाँच बार मुझ पर जानलेवा हमले होना — इससे मुझे, मेरे परिवार और प्रदेश भर के मेरे समर्थकों को लगा कि जब तक वर्तमान नेतृत्व राजस्थान में है तब तक भाजपा की बैठकों में जाना मेरे लिए जीवन की सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं है।

आपने मुझे तो अनुशासनहीनता का प्रशस्ति पत्र भेजा है, लेकिन क्या आप इस विषय को देख कर मुझ पर हमला करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की क्षमता रखते हैं? अफ़सोस की बात यह है कि मुझ पर हमला किसी विरोधी दल के कार्यक्रम में नहीं भाजपा के कार्यक्रम में, भाजपा के वर्तमान नेतृत्व के गुर्गों द्वारा किया गया।

हमलावरों पर कार्रवाई की मांग भाजपा के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष से मिलकर अपने हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन देकर की। प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें इसका आश्वासन दिया कि दोषियों को दण्डित किया जाएगा। इस पर एक जांच समिति बैठाई गई और उस जांच समिति ने दोषियों की पहचान कर अपनी रिपोर्ट बना कर अध्यक्ष को दे दी।

लेकिन इस अध्यक्ष ने जिसने मेरी शिकायत आपसे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी उसने उस रिपोर्ट को दबा दिया और दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। यहाँ आकर अनुशासन के मापदंड ही बादल गए? यह रिपोर्ट राजस्थान के एक वरिष्ठ प्रचारक को भी दी गई और उन्होंने इसे सही माना। लेकिन फिर भी प्रदेश अनुशासन समिति ने कोई क़दम नहीं उठाया। क्यों?

इसका कारण है कि रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से यह आया कि मुख्यमंत्री के नज़दीकी एक नेता ने बाहर से गुंडों को बुलाकर, उन्हें लाठियों से लैस कर, मुझ पर जानलेवा हमले की साज़िश रची।

मुझ पर हमले के तुरंत बाद घटनास्थल पर उपस्थित आक्रोश में आए अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को मैंने संयम रखने की सलाह दी। यह समझकर कि पार्टी के विधान के अनुरूप हमें दोषियों पर कार्यवाही करवानी चाहिए। लेकिन पार्टी का विधान तो मुख्यमंत्री को गिरवी रख दिया गया है! संघ के संस्कारों का पर्दा बुद्धि पर पड़ा था और कुछ मर्यादाएं स्वयं से बांध रखी थी।

अब आपके प्रशस्ति पत्र के बाद सब कुछ जैसा है वैसा दिखाई देने लगा है। अब यह भी समझ में आ गया है कि ये समय पुरानी मर्यादों को तोड़ कर नई मर्यादाओं को स्थापित करने का है। इसके लिए प्रदेश की असली भाजपा के कार्यकर्ता भी कमर-कस कर तैयार हैं।

हमले के पहले पार्टी की जिन बैठकों में भी मैंने भाग लिया उनमें लगातार मेरा अपमान किया जाता रहा। बैठकों में मुझे वरिष्ठता के आधार पर बैठने का स्थान तक उपलब्ध नहीं कराया जाता था। बैठकों को सम्बोधित करने वाली सूची में नाम तय होने के बावजूद अंत समय में उसे हटा दिया जाता था। बैठकों की सूचना एन वक़्त पर दी जाती कि मैं उसमें भाग ही ना ले सकूं।

ऐसे अनेक छोटे-बड़े अपमानों को मैं सहता रहा यह जानते हुए कि ये सब राजनीतिक जीवन का एक हिस्सा है। लेकिन जब मेरी सुरक्षा हटा कर शारीरिक रूप से मुझ पर हमले करवाए गए और जब केंद्र ने भी इन बातों को हल्के से ही लिया तो फिर वर्तमान मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली पार्टी की बैठकों में नहीं जाने के निर्णय के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा।

मुख्यमंत्री द्वारा दबाव बनवा कर मुझे पार्टी के केंद्र और प्रदेश के सभी दायित्वों से एक-एक कर हटवा दिया गया। क्या इस मुख्यमंत्री को आपने पार्टी गिरवी रख दी है?

पार्टी की स्थापना के समय से ही मैं सभी राष्ट्रीय परिषदों का सदस्य रहा था। तत्समय पार्टी अध्यक्ष स्व. जनकृष्णमूर्ति के समय से राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य रहा। वर्तमान मुख्यमंत्री ने तत्समय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान राजनाथ सिंह को धमकी देकर मुझे राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्यता से हटवा दिया।

पार्टी की स्थापना के समय से ही मैं प्रदेश की सभी चुनाव समितियों का सदस्य रहा। लेकिन इस बार 2013 के प्रदेश के चुनावों के समय राजस्थान की चुनाव समिति से मुझे हटा दिया गया। जयपुर में 2014 में जब मा. मोदी जी की चुनाव सभा हुई तो मंच पर बैठने वालों में 29 लोगों के नाम थे उनमें भी मेरा नाम नहीं रखा गया।

श्रीमान अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद मुझे राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पुनः लेने का निर्णय हुआ और आमंत्रण का फोन भी आ गया, लेकिन रातों-रात दबाव डलवा कर उसे भी रुकवा दिया (इस बारे में संगठन महामंत्री श्रीमान रामलाल जी को पूछ लीजिए)। मेरे स्थान पर राजस्थान से जिन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है उनके नामों पर भी ज़रा ग़ौर कर लीजिए।

उनमें से कुछ के स्तर की जांच-परख भी कर लीजिए। आपको समझ में आ जाएगा कि राजस्थान में पार्टी समर्पण, निष्ठा और योग्यता को दरकिनार कर चापलूसों का दरबार और माफ़ियाओं का अड्डा बनती जा रही है।

2014 लोकसभा चुनावों में पूरे जयपुर शहर के कार्यकर्ताओं ने मुझे प्रत्याशी बनाने का फ़ीडबैक दिया। लेकिन उसे नज़रंदाज कर पार्टी के वरिष्ठ नेता श्रीमान जसवंत सिंह की तरह मेरा भी अपमानजनक रूप से टिकट काट दिया गया। विधानसभा की समितियों में भी एक विधायक के रूप में मेरी वरिष्ठता को नज़रअंदाज़ किया गया और किसी भी प्रमुख समिति का कार्यभार नहीं दिया गया।

महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में राजस्थान से प्रचार के लिए भेजे 85 लोगों की लिस्ट तक में मेरा नाम नहीं था। इस लिस्ट में भी ऐसे लोगों के नाम थे जिनमें अधिकांश चुनावों में काम करने के स्थान पर मुंबई भ्रमण में अधिक रुचि ले रहे थे।

उनके ऊपर राष्ट्रीय अध्यक्षजी ने नाराज़गी भी प्रकट की थी। महाराष्ट्र में रहने वाले राजस्थानी समाज में जब मेरी माँग उठी तो वहाँ के केंद्रीय चुनाव कार्यालय से मेरे पास सीधा फ़ोन आया।

राजस्थान में अपमान सहते रहने के बावजूद पार्टी के लिए वहां जाकर मैंने चुनाव प्रचार का काम किया और एक बड़ी रैली में मंच पर मेरी माननीय मोदी जी से मुलाक़ात भी हुई।

जयपुर नगर निगम के चुनावों में मेरे सांगानेर विधानसभा के सभी 13 वार्डों में मुझे कमज़ोर करने के लिए दशकों से पार्टी के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं की राजनीतिक हत्या कर ऐसे लोगों को टिकट दे दिया गया जिनका पार्टी के पैनल में कहीं नाम ही नहीं था और जिनमें से कई की तो आपराधिक पृष्ठभूमि है।

इनमें से कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के इशारे पर 2013 के विधानसभा चुनाव में मुझे हरवाने का प्रयास भी किया था। लेकिन सांगानेर की जनता को धन्यवाद है कि उसने मुझे राजस्थान के इतिहास में सर्वाधिक मतों से जितवा कर विधानसभा में भेजा।

पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ हुए इस व्यवहार के कारण मेरे स्वास्थ्य पर असर हो गया। मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इधर चुनावों को लेकर मेरे बारे में झूठी-मनगढ़ंत ख़बरें प्रकाशित करवा कर मेरी शिकायत करते हुए दिल्ली भेजी गयीं। मुख्यमंत्री ने राजस्थान में चोरी और सीनाज़ोरी के नए कीर्तिमान स्थापित किए।

ऐसे अनेक प्रसंग हैं जिनको प्रदेश और केंद्र दोनों स्तरों पर पार्टी के कर्ता-धर्ताओं के सामने मैं लेकर आया लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। इन सबका बार-बार वर्णन करने की अब मेरी कोई इच्छा भी नहीं है, क्योंकि सत्ता से न्याय मिलेगा इसकी कोई झूठी-सच्ची आशा भी अब मेरे मन में नहीं बची।

“राजा रूठे, नगरी राखे” — यह भक्त शिरोमणि मीराबाई का कथन है। सत्ता में बैठे लोग भले ही रूट गए हों — समय आने पर अब राजस्थान की जनता ही अपना न्याय करेगी और जब वह अपना नोटिस देकर जवाब माँगेगी तो आपके प्रदेश नेतृत्व से जवाब देते नहीं बनेगा। काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती।

मुख्यमंत्री के दबाव के कारण जब मुझे प्रदेश और केंद्र की सभी ज़िम्मेदारियों से पार्टी हटाती चली गयी, जब प्रदेश में पार्टी के द्वारा क़दम-क़दम पर मेरा अपमान होता चला गया, और भाजपा सरकार द्वारा मेरी सुरक्षा हटा कर अंत में मुझ पर भाजपा के ही प्रशिक्षण शिविर में जानलेवा हमला तक किया गया, तो आप क्या मुझसे यह आशा रखते हैं कि मैं पार्टी की बैठकों में जाऊँ?

बजाय इसके कि जो वास्तव में दोषी है उसके ख़िलाफ़ आप कोई कार्रवाई करें आपने उलटे मुझे ही अनुशासन हीनता का नोटिस थमा दिया! लोग कहने लगे हैं राजस्थान में देखो पार्टी का कैसा उलटा काम हो रहा है!

इस नोटिस को भेजने के पहले एक बार मुझे बुला कर पूछ ही लेते कि तिवाड़ीजी क्या बात है, आपको क्या समस्या है? मैं अपनी तरफ़ से स्थितियों का वर्णन करता। फिर आप कोई निर्णय लेते तो समझ में आता। बिना कभी कोई बात किए मुझे सीधे नोटिस देकर सफ़ाई मांगना और वह भी मीडिया के द्वारा सार्वजनिक रूप से — यह तो मात्र एक औपचारिकता है जो पूर्वाग्रह से ग्रसित मंतव्य को परिलक्षित करती है। अब ये स्पष्ट है कि सब काम उनके लिए किया जा रहा है जो भ्रष्ट है।

इस पत्र में मैंने पार्टी बैठकों में क्यों नहीं जा रहा इसका जवाब दिया है। सम्भावना इसी बात की अधिक है की आपने यहां तक उत्तर पढ़ा भी ना हो। फिर भी आपके बाक़ी प्रश्नों का जवाब अगले पत्र में शीघ्र ही भेज रहा हूँ। मैं इस पत्र को सार्वजनिक नहीं करता। लेकिन क्योंकि आपने मीडिया के माध्यम से मुझे नोटिस दिया (आपके द्वारा भेजी गयी डाक मुझे 10 मई को मिली) इसलिए मैं भी अपने जवाब को सार्वजनिक कर रहा हूं।

धन्यवाद,