नई दिल्ली। गोवा में सरकार गठन के मुद्दे पर कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई चल रही है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरके अग्रवाल की बेंच गोवा के मामले की सुनवाई कर रही है।
कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और हरीश साल्वे गोवा के राज्यपाल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं । केंद्र का प्रतिनिधित्व एडिशनल सॉलीसिटर जनरल मनिंदर सिह कर रहे हैं।
कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल को कम से कम कांग्रेस को अपनी संतुष्टि के लिए जरूर बुलाना चाहिए था। उनका बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना सही हो सकता है।
चीफ जस्टिस ने सिंघवी से कहा कि आपने याचिका में बहुमत की कोई सूची नहीं दी है। आपने केवल ये कहा है कि कोई पार्टी आपको समर्थन दे रही है लेकिन बीजेपी ने अपने समर्थन की पूरी सूची राज्यपाल को सौंपी है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं है तो ये राज्यपाल का काम है कि वो ये देखे कि बहुमत किसके पास है। इसके बाद सिंघवी ने कहा कि ये संवैधानिक दायित्व है कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए ये संख्या का मामला नहीं है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि इससे बुरा क्या होगा कि सरकार बना लें और विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर सकें। चीफ जस्टिस ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में केवल एक ही पार्टी के पास बहुमत है।
कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का सवाल नहीं है। अगर आपके पास संख्या है तो इसे प्रमाणित कीजिए। अगर बहुमत है तभी आपका केस बनता है। चीफ जस्टिस ने सिंघवी से कहा कि आप एक ही तर्क दूसरे शब्दों में कह रहे हैं। सिंघवी ने अपने पक्ष में कुछ फैसलों का हवाला दिया।
उन्होंने सरकारिया कमीशन का हवाला दिया। सिंघवी बार-बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि राज्यपाल को कांग्रेस से भी विचार-विमर्श करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि गोवा के मुख्यमंत्री और छह मंत्री चुनाव हार गए तो राज्यपाल को उन्हें भी बुलाना चाहिए था। चीफ जस्टिस ने सिंघवी से कहा कि आप जो भी सवाल यहां उठा रहे हैं वो राज्यपाल के समक्ष उठाना चाहिए था।
चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आपके पास संख्या होती तो तीस सेकंड में मामला खत्म हो जाता। राज्यपाल का प्रतिनिधित्व कर रहे हरीश साल्वे को चीफ जस्टिस ने कहा कि आप एक ताकतवार व्यक्ति हैं और आप मेनिपुलेट कर सकते हैं।
हरीश साल्वे ने राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट के लिए दिए गए आदेश को पढ़ा और कहा कि 31 विधायक राज्यपाल से मिलने गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता ने न तो सुप्रीम कोर्ट में और न राज्यपाल के यहां पर्रिकर के दावे के खिलाफ कोई सबूत पेश किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। हम सीनियर मोस्ट विधायक को प्रोटेम स्पीकर बनाएंगे और सभी 40 विधायकों को शपथ दिलवाएंगे उसके बाद फ्लोर टेस्ट करवाएंगे। कांग्रेस की ओर से सिंघवी ने मांग की कि मनोहर पर्रिकर और कावलेकर के बीच कंपोजिट फ्लोर टेस्ट होना चाहिए।
हरीश साल्वे ने कहा कि कांग्रेस ने पर्रिकर को पक्षकार नहीं बनाया है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आपने पर्रिकर को पक्षकार क्यों नहीं बनाया? उन्होने सिंघवी से कहा कि आपने अपनी बात रखी लेकिन अपना पक्ष नहीं रखा। उन्होंने दोबारा पूछा कि आपने पर्रिकर को पक्षकार क्यों नहीं बनाया?
हरीश साल्वे ने कहा कि फ्लोर टेस्ट शुक्रवार को कराया जाए। लेकिन सिंघवी ने कहा कि गुरुवार को फ्लोर टेस्ट होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मनोहर पर्रिकर के आज होने वाले शपथ ग्रहण समारोह पर स्टे देने से इनकार कर दिया।