Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
भगवान खुद तेरे घर मेहमान बनकर आएंगे - Sabguru News
Home Rajasthan Ajmer भगवान खुद तेरे घर मेहमान बनकर आएंगे

भगवान खुद तेरे घर मेहमान बनकर आएंगे

0
भगवान खुद तेरे घर मेहमान बनकर आएंगे

सबगुरु न्यूज। रिश्तों में परमात्मा का निवास होता है। चाहे ये अपनों के खून के हो या परायो के। पराये खून के रिश्ते सदा एक सशक्त भूमिका निभाकर समाज में रिश्तों का ताना बाना गूंथ कर समाज को अपना विस्तार प्रदान करते हैं। यही एक वृहत् संस्कृति का निर्माण कर समाज को दिशा और दशा प्रदान करते हैं।

पहली बार अपने और पराये खून का संगम होता है तो जीवन साथी के रूप में एक धर्म पत्नी मिलती है और इन सम्बन्धों की बारम्बारता से संतान का जन्म होता है। अपने और पराये खून के संगम से दूसरा रिश्ता संतान का बनता है। फिर रिश्तों की एक लम्बी क़तार बनते ही चली जाती है।

पराये खून से जब अपने खून का संगम नहीं होता है तो वे रिश्ते मानव धर्म के कहलाते हैं और उन रिश्तों का अपना एक अनूठा योगदान होता है जिससे समाज और संस्कृति को एक नया आयाम मिलता है, समाज में हम की भावना पैदा होती हैं।

जहां ख़ून के रिश्तों में कमी या कटुता आ जाती हैं वहां यह धर्म के रिश्ते, जीवन की हर राह को एक सरलतम मार्ग की ओर ले जाते हैं।

वास्तव में ये सभी रिश्ते जमी के भगवान बन मानव की हर मुसीबत को आसान कर देते हैं चाहे ये रिश्ते हमें प्रत्यक्ष रूप से दिखाई दे या नहीं दें। जब अप्रत्यक्ष रूप से रिश्ते बनते हैं तो ख़ुशी या संकट के समय बिना एक दूसरे को जाने एक दूसरे के सहयोग में खड़े हो जाते हैं। चाहें समाज पर संकट हो या देश पर संकट।

रिश्तो के यही रूप परमात्मा बनकर सब की आत्मा को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में संगम करा कर भगवान के रूप में इस जमीन जाने जाते हैं।

संत जन कहते हैं कि हे मानव, संसार के इन रिश्तों में भगवान समाए हुए हैं जो तेरी हर मुश्किल को आसान करने में लगे हुए हैं। इसलिए हे मानव तू पहले इन रिश्तो में भगवान को महसूस कर, तुझे सब कुछ मिल जाएगा। मन में मैल पालकर इन रिश्तों से दूर भागने की कोशिश करेगा तो तुझे कहीं भी भगवान नहीं मिलेगे।

रिश्तो के इस मेले में पति ओर पत्नी का संगम संतान को जन्म देकर नया रिश्ता माता और पिता का बनाते हैं। यहीं माता पिता सबसे पहले भगवान हैं और शेष सभी रिश्ते देव तुल्य हैं। अत: हे मानव तू इन रिश्तो में आस्था और श्रद्धा बनाए रख। भगवान तेरे घर स्वयं मेहमान बन कर आएंगे।

सौजन्य : भंवरलाल