चंडीगढ। फरीदाबाद में गोल्ड फील्ड मेडिकल कॉलेज की मैनेजमेंट कमेटी के लोग ऑफि़स पर ताला लगाकर भाग गए हैं। यहां पढ़ाई कर रहे करीब तीन सौ बच्चे अपना कैरियर शुरू होने के पहले ही सड़क पर आ गए हैं।
कॉलेज में अब न कोई पढ़ाने वाला है और न कोई उनकी सुनने वाला। तमाम फैकल्टी भी नौकरी छोड़कर जा चुकी है। पानी, बिजली के कनेक्शन काट दिए गए हैं। छात्र हैरान हैं कि बीच में वे कहां जाएं।
जैसे ही यह मामला हैल्थ मिनिस्टर अनिल विज के ध्यान में आया तो उन्होंने मौका मुआयना करने के लिए डॉ. आर बी जैन के नेतृत्व में एक जांच टीम मौके पर भेजी।
टीम ने मौके का निरीक्षण करके प्रभावित छात्र छात्राओं की बात सुनी। मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के अनुसार शिकायत में लगाए गए आरोप जांच के दौरान लगभग सही पाए गए हैं।
इसलिए आई समस्या
इस मेडिकल कॉलेज को पिछली सरकार के समय में परमिशन दी गई थी। कॉलेज को नियमानुसार जैसे जैसे क्लास और बच्चे बढ़ते हैं, उसी अनुपात मे इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाएं विकसित करनी होती हैं। गोल्ड फील्ड मेडिकल कॉलेज ने शुरू के दो तीन साल एडमिशन तो कर लिए, लेकिन अपेक्षित सुविधाएं विकसित नहीं कीं।
जांच में कमियां बताने के बाद भी जब सुविधाएं विकसित नहीं हुईं तो मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया (एफसीआई) ने वर्ष 2015-16 में नए एडमिशन करने पर रोक लगा दी। इस बीच पिछली क्लासों के बच्चे अगली क्लासों में प्रमोट हो चुके थे। इससे कॉलेज में हालात इस कदर बिगड़ गए कि मैनेजमेंट संभाल ही नहीं पाया।
बच्चों का भविष्य खराब नहीं होने देंगे: विज
इधर, हैल्थ मिनिस्टर अनिल विज ने भरोसा दिलाया है कि बच्चों का भविष्य किसी हाल में खराब नहीं होने दिया जाएगा। उनके लिए जल्दी ही कोई न कोई रास्ता जरूर निकाला जाएगा। उन्होंने कहा है इस मामले में अगर कहीं कोई प्रशासनिक लापरवाही रही है तो जांच के बाद ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा।