नई दिल्ली। दुनिया के दूसरे बड़े स्वर्ण उपभोक्ता देश भारत में त्योहारी सीजन शुरू होने तथा सर्दी के दिनों में शादी-ब्याह का माहौल होने के बाद भी गोल्ड की कीमत 26600 रूपए से 27900 रूपए प्रति दस ग्राम के बीच स्थिर रहने की उम्मीद है। वैश्विक स्तर पर मंदी के रूझान और डॉलर के मजबूत रहने से अगले तीन से 6 माह तक गोल्ड की कीमत में इजाफा नहीं होगा, ऎसा बाजार के जानकारों का मानना है।…
वाणिज्य एवं उद्योग संगठन एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वैवाहिक सीजन की शुरूआत होने के बावजूद सोने की खुदरा मांग लगभग स्थिर बनी रहेगी। हालांकि वैश्विक निवेशकों का अमरीकी वित्तीय बाजार निवेश में फेरबदल का रूख है, जिसका असर उभरते बाजार वाले देशों पर पड़ सकता है।
एसोचैम ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों में भू राजनीतिक तनाव जैसे कि इराक में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की गतिविधियों का विस्तार, सीरियाई संघर्ष से उत्पन्न जोखिम का पश्चिम एशियाई देशों में फैलाव, यूक्रेन में हस्तक्षेप करने की वजह से रूस पर पश्चिमी देशों का प्रतिबंध और हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन की वजह से निवेशकों के लिए पीली धातु में निवेश सुरक्षित बना रहेगा।
रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत घटकर 1,200 डालर प्रति औंस से भी नीचे आ गई है लेकिन दुनिया की प्रमुख मुद्राओं यूरो, पौंड और येन की तुलना में डालर के मजबूत होने से भारतीय बाजार में इसकी कीमत पर कोई खास असर नहीं पडेगा और इसमें स्थिरता बनी रहने की उम्मीद है।
एसोचैम ने कहा कि इस स्थिति में भारत सरकार से सोने की आयात नीति में कोई बदलाव करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। सरकार ने चालू खाता घाटा और वित्तीय घाटे को कम करने के उद्देश्य से स्वर्ण आयात शुल्क में बढ़ोतरी की हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक रूपए की तुलना में डालर के मजबूत रहने की उम्मीद है। हालांकि वैश्विक स्तर पर मांग कमजोर के बावजूद सोने की कीमत में और अधिक कमी नहीं हो सकती है। भारत और चीन में दुनिया के करीब 60 प्रतिशत सोने की खपत होती है और दोनों देश की अर्थव्यवस्थाएं इस मांग को निरंतर बनाए हुए है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दशहरा, दुर्गा पूजा, दीपावली और क्रिसमस एवं नववर्ष के अवसर पर भारतीय खुदरा उपभोक्ताओं की मांग बढेगी जिससे निवेशकों का सोने में निवेश बढ़ सकता है। इसके अलावा पिछले दो साल में सोने की कीमत के 26800 से 32000 रूपए प्रति 10 ग्राम के बीच रहना भी इसकी मांग में बढ़ोतरी कर सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार कच्चे तेल की कीमत में लगातार हो रही कमी से भी निवेशकों का रूख पीली धातु की ओर रह सकता है। फिलहाल कच्चे तेल कीमत 100 डालर प्रति बैरल के नीचे बना हुआ है।