विजय सिंह मौर्य
अजमेर। स्मार्ट सिटी का तमगा मिलने के बाद अजमेर शहर के लोग फूले नहीं समा रहे। सब कुछ स्मार्ट नजर आने लगा है। सादगी के लिए पहचाने जाने वाले बापू भी स्मार्ट हो गए। लेकिन लगता है बापू की स्मार्टनेस पर 2 अक्टूबर को भी किसी ने नजरेंइनायत नहीं कीं। कांग्रेसी और गैर कांग्रेस आए और माला पहनाकर चलते बने।
सुबह से शाम तक गांधी भवन स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर सैकडों पुष्पाहार लद गए। हाथ में लाठी और बदन पर लंगोट और कंघे पर एक गमछे के सिवा गांधी के पास और था ही क्या। पहले देश की आजादी की चिंता में जीवन खपा दिया, आजादी मिली तो देश कैसे चलेगा इस चिंता में डूबे रहे।
गांधी ने कभी किसी से कुछ मांगा ही नहीं, हम भी क्या देते हमारे पास भी गांधी जैसी शख्सियत को देने के लिए था ही क्या। अब है, शहर स्मार्ट हो गया। ऐसे में शहर को चलाने की जिम्मेदारी निभाने और लाल बिल्डिंग में सत्ता सुख भोगने वाले आका गांधी जी को अछूता कैसे रहने देते। साबरमती के संत की प्रतिमा पर ही स्नेह उडेल दिया। काले पत्थर से बने गांधी स्टेच्यू को गोल्डन गोल्डन कर दिया।
आजादी के पुरोधा गांधीजी आज हमारे बीच में नहीं हैं बस उनके सादे जीवन की यादें हैं। हमेशा की तरह इस बार बर्थ डे पर माला लेकर गांधी भवन पहुंचा तो गोल्डन गोल्डन गांधीजी को देख मैं सन्न रह गया।
क्या ये मेरे वहीं सादगी की मूरत वाले गांधी है या कोई और या फिर गांधी भी स्मार्ट हो गए या उन्हें जबरन स्मार्ट बना दिया गया, कुछ बोला नहीं, बाकि कांग्रेस और गैर कांग्रेसियों की तरह पुष्पाहार गांधीजी के गले में डालकर अनजान बना रहा। दो मिनट मौन रखा और घर लौट आया।
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