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Google CEO Sundar Pichai also used to bunk class
Home Business गूगल के CEO सुंदर पिचाई भी करते थे क्लास बंक!

गूगल के CEO सुंदर पिचाई भी करते थे क्लास बंक!

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गूगल के CEO सुंदर पिचाई भी करते थे क्लास बंक!
Google CEO Sundar Pichai also used to bunk class
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खड़गपुर। दुनिया की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई आज आईआईटी खड़गपुर में थे जहां उन्होंने पढाई की थी। उन्होंने छात्रों के साथ एक कार्य्रकम में अपने पढ़ाई और कालेज के दिनों की यादों का ताजा किया। इसी दौरान उन्होंने बताया कि वे नारायण मूर्ति व सचिन तेंदुलकर के प्रशसंक हैं।

 

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने आज कबूल किया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड्गपुर में जब वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, उस वक्त वह क्लास से गायब हुआ करते थे। पिचाई ने इस बात पर हैरत भी जताई कि आईआईटी में पढ़ाई कर रहे युवा भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) में दाखिले की तैयारी में लगे होते हैं। उन्होंने असल दुनिया के तजुर्बे हासिल करने की अहमियत पर भी जोर दिया।

यहां आईआईटी के छात्रों से मुखातिब पिचाई ने कहा, ‘(भारत में) आपके पूरे करियर के दौरान कुछ तय नियमों का पालन करने का खासा दबाव होता है । जब आप हाई स्कूल में होते हैं, तो आप कॉलेज के बारे में सोचते हैं । मुझे हैरत होती है कि लोग आईआईटी में दाखिला लेते ही आईआईएम के बारे में सोचने लग जाते हैं।असल दुनिया का तजुर्बा हासिल करना काफी अहम है।’

साल 1993 में बी.टेक की पढ़ाई पूरी करने के 23 साल बाद अपने संस्थान में आए पिचाई ने कहा कि छात्र किताबों और शैक्षणिक तौर पर सीखने में काफी वक्त देते हैं।अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए थोड़ा भावुक हुए पिचाई छात्रावास के उस कमरे में भी गए जहां वह रहते थे। उन्होंने शिक्षकों से मुलाकात की और छात्रों से मुखातिब हुए।

पिचाई से जब पूछा गया कि क्या वह भी क्लास से गायब हुआ करते थे, तो उन्होंने कहा, ‘बेशक।’ उन्होंने कहा, ‘हम देर रात तक जागते थे और सुबह क्लास से गायब रहा करते थे।’ पिचाई ने कहा कि उन्हें यह सुनकर काफी अचंभा हुआ कि आठवीं क्लास में पढ़ने वाले कुछ छात्र आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी शुरू कर चुके हैं।

उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ‘मेरे समय में काफी लोग कहा करते थे कि यह शख्स फलां कॉलेज में दाखिला नहीं ले सका और अब उसके लिए रास्ते बंद हो गए।’ पिचाई ने आईआईटी के छात्रों को सलाह दी कि वे कुछ अलग करने की कोशिश करें, जोखिम लें, हर हुनर को सीखें और अपने जुनून को मानें।

बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत की आधारशिला काफी मजबूत है, क्योंकि माता-पिता या अभिभावक हमेशा इसी बारे में बात करते हैं। पिचई ने कहा कि अमेरिका में, उदाहरण के तौर पर स्टैनफोर्ड में, छात्र प्रमुख विषय तभी चुनते हैं जब वे अपने अंतिम वर्ष में होते हैं।

चेन्नई में जन्में पिचाई ने अपनी पत्नी अंजलि से यहां पहली मुलाकात का भी जिक्र किया और बताया कि किस तरह हिंदी के कम ज्ञान के चलते वे परेशानी में फंसते फंसते बचे।

उन्होंने कहा कि उन्हें हिंदी आती है लेकिन इतनी अच्छी भी नहीं। यही कारण है कि एक बार उन्हें मैस में ही एक दोस्त को ‘अबे साले’ कहकर आवाज दी क्योंकि उन्हें लगता था कि यह हिंदी में किसी के अभिवादन का तरीका है।

उन्होंने कहा कि बीते 23 साल में बहुत कुछ बदल गया है लेकिन बहुत सी चीजें अब भी वैसी ही हैं। जैसे कि जिस छात्रावास में वे रहे वह अब भी वैसा ही है।उन्होंने कहा कि पढाई के दिनों में नारायण मूर्ति उनके आदर्श थे और उन्हें सचिन तेंदुलकर को खेलते देखना बहुत अच्छा लगता था।