छिंदवाड़ा। खूनी खेल के नाम से विख्यात गोटमार मेले में विगत दिवस देर शाम को सैकड़ों लोगों का खून बहा। भारी सुरक्षा के बावजूद पांढुर्ना में प्रतिबंधित गोफन भी धड़ल्ले से चला और शराब भी जमकर बिकी। एक-दूसरे पर पत्थरबाजी कर यहां के लोगों ने वर्षों पुरानी परम्परा कायम रखी।
जिला मुख्यालय से 98 किलोमीटर दूर स्थित पांढुर्ना विकासखण्ड में शुक्रवार को सारगांव निवासी सुरेश कावले के यहां से पलाश रुपी झंडे को मान-सम्मान के साथ जाम नदी के बीचोबीच गाड़ा गया।
जहां उसकी पूजा-अर्चना कर गोटमार खिलाडियों ने एक-दूसरे को पत्थर मार खूनी खेल का आगाज किया। गोटमार मेले में दिनभर जमकर पत्थरबाजी हुई। मेले में शाम 6 बजे तक लगभग 400 लोग घायल हुए, जिसमें से गम्भीर रूप से घायल 7 लोगों को नागपुर रेफर किया गया।
बता दें कि यहां हर साल यह मेला लगता है। इस बार गोटमार की आराध्य देवी मां चंडी का दरबार भी शानदार रूप से सजाया गया। गोटमार मेले में प्रतिबंधित होने के बावजूद गोफन भी चला और अवैध रूप से शराब भी खूब परोसी गई। यूं तो प्रशासन की अपील थी कि पत्थर बाजी न करें लेकिन लोगों ने गोफन तक चलाये।
प्रशासन ने निभाई जिम्मेदारी
गोटमार के इस खूनी खेल में प्रशासन ने बखूबी जिम्मेदारी निभाई। खतरे के बीच जहां स्वास्थ्य कर्मियों ने घायलों का उपचार किया, वहीँ पुलिस ने भी सुरक्षा बनाई। मेले को शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न करवाने के लिए लगभग 700 पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई थी।
वरिष्ठ अधिकारी रहे तैनात
गोटमार मेले को सम्पन्न कराने कलेक्टर जेके जैन, एसपी जीके पाठक,अपर कलेक्टर आलोक श्रीवास्तव, एडिशनल एसपी राजेश त्रिपाठी, एसडीएम सहित अन्य आलाधिकारी अपनी टीम के साथ पूरे दिन तैनात रहे।