-आदिवासी ग्रामीणों ने उठाया मेले के हाट बाजार का लुत्फ
सबगुरु न्युज उदयपुर। हरी-भरी अरावली की वादियों में आए-दिन मेले उत्सव होते रहते हैं और बारिश के मौसम के साथ तो जैसे इनकी बहार आ जाती है। अभी पूरे मेवाड़ अंचल में अन्नकूट महोत्सवों का दौर चल रहा है। इन महोत्सवों के साथ ही प्रमुख स्थलों पर मेले भी जुड़ जाते हैं। श्रद्धा और भक्ति की सरिता के बीच लोग खरीदारी का भी उत्सव मना लेते हैं।
ऐसा ही नजारा रविवार को उदयपुर से 20 किलोमीटर दूर उदयपुर-रणकपुर फोरलेन पर स्थित घसियार गांव में नजर आया। इस गांव में भगवान श्रीनाथजी का प्राचीन मंदिर है। मेवाड़ में नाथद्वारा में बिराजने से पहले वे घसियार में ही ठहरे थे। तब से यहां मंदिर है और प्रभु श्रीनाथजी की छवि की नियमित पुष्टिमार्गीय विधिविधान से सेवा-पूजा होती है। इस मंदिर का नक्शा करीब-करीब वैसा ही है जैसा नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी के मुख्य मंदिर का है।
यहां, गोपाष्टमी के अगले दिन अक्षय नवमी पर परम्परानुसार गोवर्द्धन पूजा व अन्नकूट उत्सव होता है। इसी के तहत रविवार को हुए आयोजन में दोपहर 2 बजे गोबर के गोवर्द्धन की पूजा की गई। सजी-धजी गऊमाताओं के पैरों से गोबर के गोवर्द्धन को रुंदवाया गया। इसके बाद परम्परागत वेशभूषा में केसरिया-चमकीला फेंटा धारण किए ग्वालों ने गायों को खूब रिझाया और खेलाया। वे गायों को खेलाते हुए सड़क तक ले गए। इस दौरान फोरलेन की एक तरफ की सड़क को हमेशा की तरह सुरक्षा की दृष्टि से बंद रखा गया था।
पुष्टमार्गीय वैष्णव सम्प्रदाय के घसियार स्थित मंदिर में शाम को साढ़े सात बजे अन्नकूट के दर्शन खुले। भगवान श्रीनाथजी को तरह-तरह के व्यंजनों का भोग लगाया गया और प्रसाद बांटा गया। गोवर्द्धन पूजा और अन्नकूट के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पहुंचे।
यहां इस दिन आसपास के ग्रामीण भी बड़ी संख्या में आते हैं। इसी कारण यहां मेला भी जुड़ता है। ग्रामीण बालाओं ने मेले से सौन्दर्य प्रसाधनों की तो किशोरों-युवाओं ने बेल्ट, परिधानों आदि की खरीदारी की। बच्चों के खिलौने भी खूब बिके। सूर्यास्त तक मेला खूब जमा। मेले के दौरान कई गोमाताएं खेलती हुईं वहां से गुजरीं, उनके लिए रास्ता छोड़े रखने से कोई परेशानी नहीं हुई। घसियार और उसके आसपास भी भील समुदाय के लोग ज्यादा रहते हैं। इनके लिए गोवर्द्धन पूजा और अन्नकूट की परम्परा में मेला भी जुड़ गया है।