नई दिल्ली। सरकार ने डीजल की कीमतों को नियंत्रण मुक्त कर दिया है। इसके साथ ही देश में डीजल की कीमतों में कमी कर दी गई है और दिल्ली में शनिवार मध्य रात्रि से डीजल के दाम 3.37 रूपए कम हो गए।…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में डीजल की कीमतों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का फैसला लिया गया।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि अब डीजल की कीमतें बाजार आधारित होंगी। तेल विपणन कं पनी इंडियन आयल ने तत्काल डीजल की कीमतों में कमी करने का एलान किया। इससे दिल्ली में इसकी कीमतों में 3.37 रूपए प्रति लीटर की कमी आ गई। इस कमी के बाद डीजल के दाम 55.60 रूपए प्रति लीटर रह गए।
पूर्ववर्ती सरकार ने पिछले साल 17 जनवरी को डीजल पर बढ़त सब्सिडी को कम करने के उद्देश्य से इसकी कीमतों मेें प्रति महीने 50 पैसे प्रति लीटर वृद्धि करने की छूट तेल विपणन कंपनियों की दी थी। हाल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी कमी आने से घरेलू स्तर पर तेल विपणन कंपनियों को अभी प्रति लीटर 3.56 रूपए का मुनाफा हो रहा था।
सरकार ने जब तेल विपणन कंपनियों को डीजल की कीमतों में50 पैसे प्रति लीटर मासिक बढ़ोतरी करने का अधिकार दिया था उस समय डीजल की कीमत दिल्ली में 47.65 रूपए प्रति लीटर थी। इसके बाद 25 बार इसकी कीमतों में बढ़ोतरी की गई और यह बढ़कर 58 .97 रूपए प्रति लीटर पर पहुंच गया।
पेट्रोल की कीमतों को जून 2010 में ही सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया था। सरकार ने उसी समय डीजल को भी नियंत्रण मुक्त करने क ा सिद्धंात: निर्णय ले लिया था लेकिन इसके राजनीतिक असर को देखते हुए कंपनियों को दाम तय करने की छूट नहीं दी गई थी। नियंत्रण मुक्त किए जाने के बाद अब कंपनियां पेट्रोल की तरह की डीजल के दाम तय करने के लिए स्वतंत्र हो गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल अभी चार साल के निचले स्तर करीब 84 डालर प्रति बैरल के आसपास है।
अहमदाबाद मेट्रो की स्वीकृति
जेटली ने बताया की अहमदाबाद मेट्रो के लिए 10 हजार 737 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी गयी है। इसके पहले फेज में करीब 35.5 किलोमीटर काम होगा।
सरकारी इमारते नहीं बनेंगी स्मारक
जेटली ने पत्रकारों को बताया कि केबिनेट ने सरकारी इमारतों को किसी नेता या व्यक्ति का स्मारक नहीं बनाने का भी निर्णय किया है। इतना ही नहीं गाँधी जयंती और शहीद दिवस पर महात्मा गाँधी की समाधी पर सरकारी खर्चे पर कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
बाकी नेताओं की समाधि पर पार्टीज और ट्रस्ट को ही कार्यक्रम आयोजित करना होगा। सरकार के इस निर्णय से अजीत सिंह के समर्थकों को बड़ा झटका लगेगा जो सरकारी बंगले को उनके पिता का स्मारक बनाने की मांग कर रहे थे।