नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को लोकसभा को सूचित किया कि सरकार ने कॉरपोरेट ऋण का एक रुपया भी माफ नहीं किया है।
जेटली ने लोकसभा में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा था कि सरकार ने करीब 59,000 करोड़ रुपए का कॉरपोरेट कर्ज माफ कर दिया है।
जेटली ने कहा कि सरकार ने कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा लिए गए कर्ज का एक रुपया भी माफ नहीं किया है। आपको यह बार-बार दोहराने से पहले तथ्यों की जांच कर लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि बैंकों का इतना सारा फंसा हुआ कर्ज (गैर निष्पादित परिसंपत्तियां) क्यों है? क्योंकि सरकारी बैंकों द्वारा ये कर्ज साल 2014 से पहले दिए गए थे। निजी बैंकों की तुलना में सरकारी बैंकों का कर्ज ज्यादा फंसा हुआ है।
मंत्री ने कहा एनपीए की समस्या इसलिए बढ़ी, क्योंकि प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियां पैदा हो गईं और कर्ज पर ब्याज बढ़ता चला गया।
जेटली ने कहा कि कृषि क्षेत्र में 2.92 लाख करोड़ रुपए का निवेश फसल बीमा, सड़क और आवास परियोजनाओं और अन्य परियोजनाओं के रूप में किया गया, ताकि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले।
अपने लिखित जवाब में जेटली ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक के फंसे हुए कर्ज की रकम 31 मार्च तक कुल फंसे हुए कर्ज का 3.72 फीसदी थी। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों का कुल फंसा हुआ कर्ज 31 मार्च तक 6.41 लाख करोड़ रुपए है।