नई दिल्ली। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अंतर्गत केंद्र सरकार ने मिड डे मील के नए नियमों की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत जहां प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर पढने वाले बच्चों को कैलोरी समान मात्रा दी जाएगी वहीं प्रोटीन की अलग-अलग मात्रा होगी।
मिड-डे मील की गुणवत्ता सुधारने और स्कूली बच्चों को मिड डे मील देने में बेहतर नियमितता सुनिश्चित करने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने राज्य सरकारों और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से विचार विमर्श के बाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के तहत मिड डे मील नियम-2015 तैयार किया है। इसमे मिड-डे मील से जुडे कई नियमों में विशेष बदलाव किए गए हैं।
नए नियमों के तहत कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ने वाले सभी छात्रों को पकाया हुआ गर्म भोजन दिया जाएगा।पोषण संबंधी मानकों के आधार पर प्राथमिक में पढ़ने वाले छात्रों के भोजन में 450 कैलोरी और प्रोटीन की मात्रा 12 ग्राम होनी आवश्यक है तथा उच्च प्राथमिक में पढ़ने वाले छात्रों के भोजन में 450 कैलोरी और प्रोटीन की मात्रा 20 ग्राम होनी चाहिए। बच्चों को भोजन स्कूल में ही दिया जाएगा।
नए नियमों के तहत प्रत्येक स्कूल में स्वच्छ तरीके से खाना पकाने के लिए सुविधा होनी चाहिए। शहरी क्षेत्र के स्कूल केंद्र सरकार की दिशा निर्देशों के अनुसार भोजन पकाने के लिए केंद्रीकृत रसोई की सुविधा का उपयोग कर सकते हैं।
स्कूल प्रबंधन समिति रखेगी निगरानी
अब निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के मुताबिक स्कूल प्रबंधन कमेटी को मिड डे मील योजना के कार्यान्घ्वयन की निगरानी का अधिकार होगा।
कमेटी बच्चों को दिये जाने वाले भोजन की गुणवत्ता, साफ-सफाई, भोजन तैयार करने की जगह की स्वच्छता और साफ-सुथरे वातावरण को सुनिश्चित करेगी। यह कमेटी देखेगी कि भोजन बनाने और बांटने में उपरोक्त मानकों का पालन हो रहा है या नहीं।
इसके अलावा अगर स्कूलों में भोजन बनाने के लिए अन्न और पकाने के लिए फंड उपलब्घ्ध न हो तो मध्यान्ह भोजन के लिए किसी अन्य फंड के इस्तेमाल की निगरानी का अधिकार स्कूल के प्रधानाचार्य या प्रधानाचार्या के पास होगा। मिड-डे मील के लिए राशि प्राप्त होने पर अन्य फंड से इस्तेमाल की गई राशि की भरपाई तुरंत कर दी जायेगी।
प्रयोगशालाओं में जांच की भी प्रावधान
केन्द्र सरकार की ओर से लागू नए नियमों के तहत पोषक मानक सुनिश्चित करने के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं द्वारा भोजन की जांच करने का प्रावधान भी किया गया है। सरकार के खाद्य अनुसंधान प्रयोगशालाएं बच्चों को दिये जाने वाले पकाये हुए गर्म भोजन की जांच करेंगी और प्रमाणित करेंगी।
भोजन में पोषक तत्व हैं या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) विभाग इसके नमूने ले सकते हैं। ये नमूने स्कूल या केंद्रीयकृत रसोईघरों से अचानक इक्ट्ठे किये जा सकते हैं और इन्हें जांच के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में भेजा जा सकता है।
अगर किसी स्कूल में खाद्यान्न और पकाने के लिए ईंधन या रसोइये के लिए पैसे न हों तो सरकार भोजन देने के महीने के अगले महीने की 15 तारीख को खाद्य सुरक्षा भत्घ्ता मुहैया करायेगी।