नई दिल्ली। सरकार के सुप्रीमकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने की संभावना कम है जिसमें उसने उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए बनाए गए कानून को निरस्त कर दिया।
हालांकि, सरकार जब उच्चतम न्यायालय अगले महीने कॉलेजियम व्यवस्था में सुधार करने पर सुनवाई करेगा तो अपने विचार रखेगी।
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम एनजेएसी और उससे संबंधित संविधान संशोधन अधिनियम को उच्चतम न्यायालय द्वारा असंवैधानिक करार दिए जाने के एक दिन बाद समीक्षा याचिका दायर करने और कॉलेजियम व्यवस्था में कैसे सुधार किया जाए इसपर सुझाव देने के बारे में विधि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ शनिवार को हुई बैठक में विधि मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने चर्चा की। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम व्यवस्था फिर से बहाल हो गई है।
सरकार में शामिल सूत्रों ने फैसले की समीक्षा की मांग करने से लगभग इंकार किया। उन्होंने कहा कि और चर्चा के बाद अंतिम फैसला किया जाएगा। कॉलेजियम व्यवस्था पर सरकार शीर्ष अदालत से क्या कहना चाहती है इसपर अंतिम फैसला गौड़ा के मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों और प्रधानमंत्री के साथ चर्चा के बाद किया जाएगा। चूंकि शनिवार की बैठक में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी उपस्थित नहीं थे इसलिए गौड़ा इस मुद्दे पर उनकी भी राय लेंगे।
तीन नवंबर को उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवाई में सरकार उन बदलावों को सुझाएगी जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के साथ ही इस बात का भी ख्याल रखेगी कि न्यायाधीशों की नियुक्ति न्यायाधीश ही करें यह सर्वश्रेष्ठ प्रचलन नहीं है।
फैसले से निपटने की अपनी रणनीति के तहत सरकार महत्वपूर्ण कानून पर सबको साथ लेकर चलने के लिए सर्वदलीय बैठक भी बुला सकती है।
अगर संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई जाती है तो इस तथ्य के मद्देनजर इसपर आम सहमति बनने की उम्मीद की जा सकती है कि इस विधेयक को पहले पूर्ववर्ती राजग सरकार ने लाया था। फिर संप्रग सरकार ने इसे आगे बढ़ाया और अंतत पिछले साल संसद के दोनों सदनों ने मौजूदा राजग सरकार के कार्यकाल में इस विधेयक को पारित कर दिया।
राजग सरकार को शुक्रवार को करारा झटका लगा था जब उच्चतम न्यायालय ने एनजेएसी अधिनियम को असंवैधानिक बताकर निरस्त कर दिया था। एनजेएसी अधिनियम में उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका को बड़ी भूमिका दी गई थी।