जम्मू। जम्मू कश्मीर में संवैधानिक संकट के कारण पहले भी पांच बार राज्यपाल शासन लग चुका है और सबसे लंबी अवधि का यह शासन छह साल से भी ज्यादा समय तक लागू था।
देश के अन्य राज्यों में संवैधानिक संकट की स्थिति में संविधान के अनुच्छेद 356के तहत राष्ट्रपति शासन लगता है लेकिन जम्मू कश्मीर का अपना संविधान होने के कारण यहां अनुच्छेद 92के तहत छह माह के लिए राज्यपाल शासन लगता है।
राज्यपाल राष्ट्रपति से सहमति मिलने के बाद राज्यपाल शासन की घोषणा जारी करता है। यदि छह माह के अंदर संवैधानिक व्यवस्था बहाल नहीं हो पाती है तो संविधान के अनुच्छेद 356के तहत राष्ट्रपति शासन लग जाता है। राज्य में पहली बार 26 मार्च 1977 को तत्कालीन राज्यपाल एलके झा ने राज्यपाल शासन लगाया गया था जो 105 दिनों तक लागू था। कांग्रेस की ओर से शेख अब्दुल्ला नीत गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के कारण राज्यपाल शासन लगाया गया था। यह नौ जुलाई 1977तक लागू रहा।
इसके बाद छह मार्च 1986 को तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने 246 दिनों के लिए दूसरी बार राज्यपाल शासन लगाया था। दरअसल साल 1984 में शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के दामाद गुलाम मोहम्मद शाह ने कांग्रेस के 26 विधायकों और नेकां के 12 बागियों की मदद से डॉ. फारूक अव्दुल्ला की सरकार गिरा दी थी। लेकिन 1986 में कांग्रेस ने शाह से समर्थन वापस ले लिया जिसकी वजह से राज्यपाल शासन लगाया गया। छह माह के बाद संवैधानिक व्यवस्थाओं के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगा था जो सात नवंबर तक लागू रहा।
राज्य में आतंकवाद का दौर शुरू होने के कारण तीसरी बार 19 जनवरी 1990 को लगा राज्यपाल शासन सबसे लंबी अवधि का था। यह छह साल 246 दिनों तक रहा। डॉ. फारूक अब्दुल्ला नीत सरकार ने जगमोहन को राज्यपाल बनाए जाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया था। जगमोहन की ओर से लगाया गया राज्यपान शासन नौ अक्टूबर 1996 तक लागू रहा।
वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से इंकार करने के बाद चौथी बार 15 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लगाया गया। तत्कालीन राज्यपाल जी सी सक्सेना ने 18 अक्टूबर से दो नवंबर 2002 तक राज्यपाल शासन लगाया था। इसके बाद कांग्रेस और पीडीपी ने 15दिनों में गठबंधन सरकार का गठन किया था।
अमरनाथ भूमि विवाद को लेकर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने 28जून 2008 को आजाद नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। आजाद ने विधानसभा में विश्वास मत का सामना किए बगैर ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। आजाद नीत गठबंधन सरकार गिरने के बाद तत्कालीन राज्यपाल एन एन वोहरा ने 11 जुलाई 2008 से पांच जनवरी 2009तक पांचवीं बार राज्यपाल शासन लगाया था। इसकी अवधि 178 दिनों की थी।
वर्ष 1947 के बाद से जम्मू कश्मीर में छठीं बार राज्यपाल शासन लग रहा है। राज्यपाल शासन की घोषणा करने के तुरंत बाद वोहरा ने मुख्य सचिव इकबाल खांडले से राज्य में प्रशासन से जुडे मुख्य मुद्दों को लेकर बात की। राज्यपाल शनिवार को सभी प्रशासकीय सचिवों के साथ बैठक के लिए राज्य सरकार के सचिवालय का दौरा कर सकते है। आधिकारिक सूचना के अनुसार नवंबर-दिसंबर 2014 के विधानसभा चुनाव के 23 दिसबंर को आए परिणाम के बाद निवर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 24 दिसंबर को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
अब्दुल्ला का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया था लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था होने तक उनसे कामकाज देखते रहने को कहा गया था। राज्यपाल ने विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और दूसरे नंबर की भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व से सरकार बनाने की संभावनाओं पर पिछले दो हफ्तों में विचार विमर्श किया। लेकिन किसी भी पार्टी या गठबंधन ने अभी तक राज्य में अगली सरकार बनाने के लिए दावा पेश नहीं किया।
अब्दुल्ला ने सात जनवरी 2015 को राज्यपाल को सूचित किया कि वह कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद तत्काल प्रभाव से छोड़ रहे हैं। अभी तक किसी भी राजनीतिक दल क ी ओर से सरकार बनाने का दावा पेश न किये जाने के कारण राज्य के संविधान के प्रावधानों के तहत शासन नहीं चलाया जा सकता था। इसलिए राज्यपाल शासन लगाना पड़ा है।
वर्तमान राजनीतिक संक ट के लिए पीडीपी को जिम्मेदार ठहराते हुए नेशनल कान्फ्रेंस (नेका) के कार्यकारी अध्यक्ष अब्दुल्ला ने हालांकि कहा कि राज्य में इस स्थिति के लिए उन्हें दुख है। अब्दुल्ला ने टि्वट किया कि अच्छे चुनाव परिणामों के बाद भी हमारे पास राज्यपाल शासन जैसी स्थिति है, इसके लिए मुझे दुख है। पीडीपी का यह दावा कि मेरी उनको की गई पेशकश गंभीर नहीं थी, एक मजेदार बात है। वे जानते है कि कौन मध्यस्थ था तो वे उससे ही पूछें।
उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार गठन की प्रक्रिया में भाजपा को दूर रखने के लिए पीडीपी-कांग्रेस और एनसी के बीच महायुति का विचार दिया था लेकिन बाद में पीडीपी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया न आने पर नेका ने अपना प्रस्ताव रद्द कर दिया।
जम्मू कश्मीर में 8 जनवरी से राज्यपाल शासन
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने राज्य में राज्यपाल शासन लगाने की घोषणा की है जो आठ जनवरी से ही प्रभावी हो गया। शुक्रवार राज्यपाल ने राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू कर दिया है। राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 (5) के तहत राष्ट्रपति की सहमति के बाद अनुच्छेद 92(1) के तहत राज्यपाल शासन लगाने की घोषणा जारी की है।
राज्यपाल शासन आठ जनवरी 2015 से प्रभावी माना जाएगा। उमर अब्दुल्ला ने राज्य में सरकार गठन को लेकर हो रही देरी को कारण बताते हुए कार्यवाहक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से इंकार कर दिया जिसके बाद राज्य में राज्यपाल शासन लगा। जम्मू कश्मीर विधानसभा के गत माह हुए चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को सर्वाधिक 28 सीटें मिली हैं जो बहुमत से 16 कम है। भाजपा को 25, नेशनल कांफ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली हैं। राज्य में सरकार बनाने की आखिरी तारीख 19 जनवरी है।