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भारत ने चीन सीमा पर 15 अगस्त को हुई 'घटना' की पुष्टि की - Sabguru News
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भारत ने चीन सीमा पर 15 अगस्त को हुई ‘घटना’ की पुष्टि की

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भारत ने चीन सीमा पर 15 अगस्त को हुई ‘घटना’ की पुष्टि की
Govt confirms Ladakh incident, says will continue to engage with China for Doklam solution
Govt confirms Ladakh incident, says will continue to engage with China for Doklam solution
Govt confirms Ladakh incident, says will continue to engage with China for Doklam solution

नई दिल्ली। भारत ने लद्दाख सीमा पर पैंगोंग झील के पास भारतीय व चीनी जवानों में हुई झड़प की शुक्रवार को पुष्टि की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि मैं 15 अगस्त को पैंगोंग त्सो में हुई घटना की पुष्टि कर सकता हूं। बाद में दोनों पक्षों के स्थानीय सेना कमांडरों ने इस पर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि इस तरह की घटनाएं किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। हमें (सीमा पर) शांति बनाए रखना चाहिए।

बताया जा रहा है कि चीनी जवानों ने पैंगोंग झील के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा पार करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें भारतीय जवानों ने रोक दिया।

इसे लेकर तेज झड़प हुई और सैनिकों में एक घंटे से ज्यादा समय तक गतिरोध चला जिस दौरान दोनों देशों के सैनिकों ने पथराव किया।

यह पूछे जाने पर कि क्या मुद्दे को दोनों पक्षों की सीमा कार्मिक बैठक (बीपीएम) में उठाया गया, कुमार ने कहा कि इस तरह की बैठकों का विवरण साझा नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि हाल में दो बीपीएम हुई हैं। एक नाथू ला में व दूसरी चुसुल में।

उन्होंने कहा कि एक बीपीएम सिक्किम क्षेत्र के नाथू ला में एक सप्ताह पहले हुई थी जबकि एक लद्दाख के चुसुल में 16 अगस्त को हुई। उन्होंने कहा कि बीपीएम दो देशों के बीच में विश्वास निर्माण के उपायों का हिस्सा है।

सिक्किम के सीमावर्ती क्षेत्र में भारत व चीन के जवानों के बीच चल रहे गतिरोध पर कुमार ने कहा कि भारत, चीन के साथ परस्पर स्वीकार्य समाधान के लिए अपना प्रयास जारी रखेगा।

उन्होंने कहा कि जैसा कि हमने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के सुचारु विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति महत्वपूर्ण शर्त है।

चीन ने इस साल हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा नहीं किया : विदेश मंत्रालय

असम और बिहार जहां भारी बाढ़ में डूबे हैं, वहीं, चीन ने इस साल ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदियों का हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा नहीं किया है, जैसा कि करता आया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां बताया कि इस साल 15 मई तक चीन की तरफ से हमें आंकड़े नहीं मिले हैं।

असम और बिहार में बाढ़ के कारण सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों हेक्येय्टर की जमीन पानी में डूबी है।

भारत और चीन के बीच विशेषज्ञ स्तर का तंत्र मौजूद है जिसे भारत-चीन विशेषज्ञ स्तर तंत्र कहते हैं। इसकी स्थापना साल 2006 में हुई थी और कुमार ने बताया कि इसकी पिछली बैठक पिछले साल हुई थी।

उन्होंने कहा कि दो एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। एक साल 2013 में तो दूसरा 2015 में। इसके मुताबिक चीन हर साल सतलुत और ब्रह्मपुत्र नदियों का हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करेगा। यह आंकड़े हर साल मॉनसून के दौरान 15 मई से 15 अक्टूबर के बीच साझा किए जाते हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या डोकलाम में भड़के तनाव के कारण चीन आंकड़े साझा नहीं कर रहा। प्रवक्ता ने कहा अभी ऐसा कहना ‘जल्दीबाजी’ होगी।