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केंद्र सरकार सस्ते घर के लिए लाई नई पीपीपी पॉलिसी - Sabguru News
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केंद्र सरकार सस्ते घर के लिए लाई नई पीपीपी पॉलिसी

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केंद्र सरकार सस्ते घर के लिए लाई नई पीपीपी पॉलिसी
Govt extends low-cost home subsidy up to Rs 2.50 lakh to units built on private land
Govt extends low-cost home subsidy up to Rs 2.50 lakh to units built on private land
Govt extends low-cost home subsidy up to Rs 2.50 lakh to units built on private land

मुंबई। केंद्र सरकार ने गुरुवार को सस्ते घर के लिए नई सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) नीति की घोषणा की, जिसके तहत निजी बिल्डरों द्वारा निजी जमीन पर भी घर बनाने के लिए प्रति घर 2.50 लाख रुपए की केंद्रीय सहायता दी जाएगी। इसके अलावा, इससे शहरी क्षेत्रों में भी सस्ते घर की परियोजना के लिए निजी निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा।

आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने योजना की घोषणा करते हुए कहा कि इससे सस्ते घर के लिए निजी क्षेत्र को पीपीपी के कई विकल्प मिलेंगे।

एनएआरइडीसीओ की ओर से आयोजित रियल इस्टेट और इंफ्रास्ट्रेक्चर इंवेस्टर्स समिट-2017 को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा कि इस योजना से सरकार, डवलपर्स, और वित्तीय संस्थानों में से उन पर पर जोखिम आवंटित करना चाहती है जो फायदा उठाने की बदले सभी को 2022 तक घर देने के लक्ष्य को पूरा कर सके।

निजी जमीन पर सस्ते घर के लिए दो पीपीपी मॉडल अपनाए जाएंगे, जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) से जुड़े क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी कंपोनेंट (सीएलएसस) की सहायता से बैंक ऋण पर ब्याज सब्सिडी के तहत प्रति घर 2.50 लाख की केंद्रीय सहायता दी जाएगी। दूसरे विकल्प के तहत, अगर लाभार्थी बैंक ऋण नहीं लेना चाहता है तो निजी जमीन पर घर बनाने के लिए 1.50 लाख प्रति घर की सहायता दी जाएगी।

पुरी ने कहा कि आठ पीपीपी विकल्पों में से छह को सरकारी जमीन का इस्तेमाल कर सस्ते घर के लिए राज्यों, प्रमोटर निकायों और अन्य साझेदारों के साथ मिलकर निजी निवेश किया जा रहा है।

सरकारी जमीन का इस्तेमाल कर छह मॉडल डीबीटी मॉडल हैं, जिसके अंतर्गत निजी बिल्डर लाभार्थी को सरकारी जमीनों पर मकान डिजाइन और ट्रांसफर कर सकते हैं। निर्माण के सबसे कम लागत के अंतर्गत सरकारी जमीन को आवंटित किया गया है। प्रोजेक्ट के निर्माण के हिसाब से बिल्डरों को भुगतान किया जाएगा।

पुरी ने सस्ते घर के परियोजना में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) और कई रियायतों और प्रोत्साहन के बावजूद निजी क्षेत्र के अब तक शामिल नहीं होने पर चिंता जताई। इसमें आधारभूत निर्माण पर छूट भी शामिल है।