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महान माताओं की कोख से जन्म लेते हैं महापुरुषः आचार्य विमलसागरसूरीश्वर - Sabguru News
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महान माताओं की कोख से जन्म लेते हैं महापुरुषः आचार्य विमलसागरसूरीश्वर

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महान माताओं की कोख से जन्म लेते हैं महापुरुषः आचार्य विमलसागरसूरीश्वर
aacharya vimalsurishwar addressing girls in sirohi during kanya sanskar shivir
matri shakti honouring mr mukesh modi during kanya sanskar shivir in sirohi
matri shakti honouring mr mukesh modi during kanya sanskar sammelan in sirohi

सिरोही। आचार्य विमलसागरसूरीश्वर ने कहा कि संस्कारी कन्याएं ही नये भारत का निर्माण करेंगी। महान माताओं की कोख से ही महापुरुष जन्म लेते हैं। वे मंगलवार को दशहरा मैदान में विमलवाणी आयोजन समिति के तत्वावधान  एवं समाज सेवी  मुकेश मोदी के आतिथ्य में आयोजित ‘‘कन्या संस्कार सम्मेलन’’ को सम्बाधित कर रहे थे। सम्मेलन में सिरोही के निजी एवं सरकारी विद्यालयों की दो हजार बालिकाओं ने हिस्सा लिया।
आचार्य आगे कहा कि बालिकाएं इस देश का भविष्य हंै और जब वे शिक्षित एवं संस्कारित होंगी तो इस देश की प्रगति को कोई नहीं रोक पायेगा। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी का निर्माण एक मां के द्वारा होता है और सदाचारी कन्याएं ही महान माताएं बन सकती है। उन्होने शिक्षा के लिये बालिकाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि हर कार्य की सफलता के लिये कोशिश, प्रयास और तल्लीनता जरुरी है और जब हम शिक्षक से ज्ञान अर्जित करते है तो इन सभी गुणों के साथ गंभीरता भी आवश्यक है।

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उन्होने कहा कि ज्ञान की प्राप्ति सीधे-सीधे मां सरस्वती की साक्षात कृपा होती है। उन्होंने स्वयं को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत करते हुए कहा कि बाल्यकाल में वे सामान्यरुप से बोल पाने में समर्थ नहीं थे और हकलाते थे किन्तु गुरु द्वारा दिये गये बीज मंत्र और मां सरस्वती की उपासना से वह चमत्कार संभव हुआ कि लगातार पदयात्रा करते हुए देशभर में दस हजार से ज्यादा व्याख्यान शिविरों को संबोधित किया है और यह क्रम लगातार जारी है। करीब चार सौ शिविरों में एक लाख से अधिक बहनों को संस्कार की शिक्षा एवं प्रेरणा दी है। आचार्य ने उदाहरण देकर समझाया कि हम लोग प्राप्त करना चाहते है किन्तु देगा कौन? अगर हमारे स्वयं के पास कुछ होगा तो हम किसी को दे पायेंगे। ज्ञान भी ऐसी ही वस्तु है जो देने से बढ़ती है। किन्तु इसके पूर्व हमारे स्वयं के पास ज्ञान का होना आवश्यक है।

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बालिकाओं को प्रेरणा देते हुए आचार्य ने कहा कि मां, पिता एवं शिक्षक की ड़ांट को अन्यथा न ले बल्कि उसके महत्व को समझे क्योंकि वे सभी हमारा भला होता हुआ देखना चाहते है। उन्होंने बालिकाओं से सजग रहने का आग्रह करते हुए कहा कि 11 वर्ष के बाद किशोरवय हमारे अन्दर शारीरिक एवं रासायनिक परिवर्तनों के साथ विचारों में भी परिवर्तन लाने लगती है यह संभलने का समय होता है ऐसे में हमें ज्यादा से ज्यादा माता-पिता एवं शिक्षकों से वैचारिक नजदीकी बढ़ानी चाहिये ताकि भटकने से बचा जा सके।

आचार्य ने कहा कि नीम की विशेषता है कि यदि वह आम के सम्पर्क में आ जाये तो आम भी कड़वा हो जाता है। अतः बुरे संस्कार वाले लोगों से दूरी बनाये रखना ही हमारे जीवन में मधुरता ला सकता है। उन्होने भ्रूण हत्या पर तीखी प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि यह देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है, देवी की पूजा एवं कन्या को देवी मानने वाले देश में कन्या भ्रूणहत्या जैसा गंभीर अपराध समाज में किया जाता है। आचार्य ने कहा कि कन्या होना सौभाग्य है बस आप ध्यान रखे कि स्वयं आचारवान हो एवं सोच को सकारात्मक रखें  और कही भी डरे व झुके नहीं । आपको आगे बढने से कोई नही रोक सकता ।

आचार्य ने वर्तमान सन्र्दभों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज समाज में नायकत्व की परिभाषा बदल गई है। खेलों से लेकर फिल्मों तक ग्लेमर ने बच्चों पर इस कदर प्रभाव डाला कि देवी -देवताओं के आख्यान और हमारे महापुरुषों की जीवनी नायकत्व की श्रेणी से बाहर हो गई और खेल और फिल्मों के आभासी सौन्दर्य ने जीवन में नायको की जगह ले ली। इस सांस्कृतिक पतन को रोकने की आवश्यता है। आचार्य ने फैशन के प्रवाह पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति कभी भी अंग प्रदर्शन की पक्षधर नही रही और हमें अपनी बालिकाओं को इस प्रकार के चलन से दूर रखना चाहिये।
कार्यक्रम के दौरान समाज सेवी मुकेश मोदी का शाल ओढ़कर बहुमान किया गया। मोदी ने इस मौके पर कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि आचार्य की प्रेरणा से इस प्रकार के सर्वजन हिताय आयोजनो का माध्यम बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ। उन्होने इस मौके पर सिरोही के बालिका विद्यालयों में वाचनालय, पेयजल, प्रयोगशाला, शौचालय आदि के निर्माण में हर संभव सहयोग दिये जाने की घोषणा की। इससे पूर्व जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया ने इस आयोजन की सफलता पर प्रसंन्नता व्यक्त करते हुए बालिकाओं को प्रेरणा दी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डा. प्रेरणा शेखावत तथा सिरोही प्रधान प्रज्ञा कवर ने भी विचार व्यक्त किये। डा. खुशवंत त्रिवेदी ने स्वागत भाषण दिया तथा कार्यक्रम का संचालन कैलाश जोशी ने किया। आदर्श विद्या मंदिर की बालिकाओं ने सरस्वती वंदना की स्वर लहरियां बिखेरी।

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