नई दिल्ली। बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए 71,201.54 करोड़ रुपए के ऋण की मंजूरी दी है।
गत वर्ष 2015 से 21 मार्च 2016 तक मंजूरी प्राप्त राशि में 29,529.57 करोड़ रुपए व्यय किए जा चुके है। यह उनके द्वारा पुनर्वित्त 2015 में की गई प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार पुनर्वित्त 2015 के दौरान 40 बड़े बैंकों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी- सार्वजनिक, निजी क्षेत्र बैंकों एवं एनबीएफसी तथा भारत में संचालनगत विदेशी बैंकों) ने आगामी पांच वर्षों की अवधि के दौरान 78.75 गीगावॉट से अधिक की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए ऋण वित्त पोषण मुहैया कराने की प्रतिबद्धता की थी।
सरकार ने वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमताओं का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को अर्जित करने के लिए 40 अरब डॉलर की इक्विटी सहित 160 अरब डॉलर के पूंजीगत परिव्य्य की आवश्यकता होगी।
इसके अतिरिक्तर, नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के जरिए सृजित बिजली का उपयोग करने के लिए बुनियादी ढांचे के उन्नीयन के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है। इसके लिए बैंकों एवं एनबीएफसी को इन परियोजनाओं के लिए लागत एवं दीर्घकालिक वित्त पोषण मुहैया कराने के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी अदा करनी होगी।
नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए देश के बैंकों एवं एनबीएफसी द्वारा की गई प्रतिबद्धताएं एवं विदेशी बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं के साथ निम्न लागत और दीर्घकालिक वित्त पोषण मुहैया कराने के लिए किए गए समझौतों से भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
जानकारी हो कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 15 से 17 फरवरी 2015 को नई दिल्ली में पहली नवीकरणीय ऊर्जा वैश्विक निवेशक बैठक और प्रदर्शनी (पुनर्वित्त 2015) का आयोजन किया था।
पुनर्वित्त 2015 में हितधारकों से 283 गीगावॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्रतिबद्धताएं की गईं। इसके अलावा, भारत में 62 गीगावॉट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों के निर्माण की प्रतिबद्धता की गई थी।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय बैंकों एवं एनबीएफसी की अब तक उपलब्धियों पर मासिक स्थिति रिपोर्ट प्राप्त करता रहा है, जिन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा की भरोसेमंद परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए प्रतिबद्धता की है।