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रति को ट्रेन से फेंकने वाले अरेस्ट, रेलकर्मी निकला सरगना - Sabguru News
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रति को ट्रेन से फेंकने वाले अरेस्ट, रेलकर्मी निकला सरगना

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भोपाल। मालवा एक्सप्रेस ट्रेन से नई दिल्ली से उज्जैन के मध्य यात्रा कर रही रति त्रिपाठी (29) के साथ लूटपाट कर उसे ट्रेन से फेंकने वाले बदमाशों के गिरोह ख्का शुक्रवार को जीआरपीएफ ने खुलासा कर दिया है। करीब आधा दर्जन बदमाशों के इस गिरोह में रेलकर्मी भी शामिल हैं।

गिरोह मुख्यतया बीना, भोपाल और सागर तक के बीच वारदातों को अंजाम देता था। बदमाशों के पास से रति का एक मोबाइल बरामद हुआ, जबकि एक बैग और मोबाइल अभी भी नहीं मिल पाया है। इनमें से खुरई सागर के जगतसिंह को छोडकर सभी पांच उत्तरप्रदेश के ललितपुर जिले के रहने वाले हैं। जाहर सिंह और औंकार सिंह भाई हैं। गैंग के दो सदस्य अभी फरार बताए जा रहे है।
रेलवे के विशेष पुलिस महानिदेशक मैथिलीशरण गुप्त ने बताया कि सभी बदमाश ललितपुर जिले के रहने वाले हैं। गिरफत में आए आरोपियों में उनका सरगना विरोरा गांव निवासी चंदन सिंह लोधी (50) निवासी ग्राम विरोरा, छोटेलाल गडरिया (45), गुलाब सिंह (65), जाहर सिंह (32), ओंकार उर्फ भज्जू (20) और देव सिंह लोधी (37) शामिल हैं। इसके अलावा आरोपियों से 14 अन्य वारदातों का माल बरामद भी हुआ है।
उन्होंने बताया कि इन छह मुख्य आरोपियों में चंदन सिंह लोधी ललितपुर रेलवे का पूर्व गैंगमेन और गुलाब सिंह होमगार्ड में पदस्थ था। गिरोह में शामिल ललितपुर निवासी रूपकिशोर कक्का (58) लूट के माल को बेचने का काम करता था और माल में बाकायदा हिस्सेदारी रखता था। रूपकिशोर का साला सौरभ ही लूट का माल खरीदता था। वहीं रेलवे क्वार्टर खुरई में रहने वाला जगत सिंह (58) भी इनका सहयोग करता था। पुलिस ने धारा 375 के तहत प्रकरण दर्ज कर आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है, इस मामले में वांछित शालू जैन उर्फ अन्डया फरार हैं।
गौरतलब है कि कानपुर निवासी और आठ साल से दिल्ली में मैनेजर की पोस्ट पर कार्यरत रति त्रिपाठी 18 नवम्बर को नई दिल्ली से उज्जैन तक यात्रा के लिए मालवा एक्सप्रेस में सवार हुई। इस बीच को 19 नवंबर की सुबह 5 बजे बीना के पास करोंदा और आगासौद के बीच बदमाशों ने लूट के बाद उसे मालवा ट्रेन से फेंक दिया था। उसका अब भोपाल में बंसल अस्पताल में इलाज चल रहा है।
एसडीजी रेल ने बताया कि, रति त्रिपाठी जब मालवा के एस-7 में बर्थ नंबर 7 सवारी कर रही थी। 19 नवंबर को सवेरे करीब सवा 5 बजे बदमाश उसके समीप की सीट पर आकर बैठ गए। उनके अलावा चार बदमाश कोच के चारों दरवाजों पर खड़े हो गये। बदमाशों ने एस-7 के चारों गेट खाले दिए थे, संभवतया उन्हें पहले से मालूम था कि करोंदा और आगासौद पर ट्रेन धीमी होगी, जैसी ही टे्रन धीमी हुई सोती हुई तो रति के पास बैठे बदमाशों ने उसका पर्स छीनने की कोशिश की, लेकिन वह जाग गई और पर्स लेकर भाग रहे चंदन सिंह लोधी के बाल कसकर पकड़ लिए। जब चंदन के बालों को रति ने नहीं छोड़ा तो देव सिंह ने उसके हाथ पर काट लिया। रति चंदन के बाल पकड़े हुए दरवाजे की ओर बढती गई। चंदन ने कोच के गेट से नीचे छलांग लगा दी और उसके साथी देवी ने रति को पीछे से धक्का दे दिया। जिससे उसके सर में गहरी चोट लग गई।

रात को ही निकल जाते थे घरों से
गुप्ता ने बताया कि सभी आरोपी रात्रि आठ बजे घरों से वारदात को अंजाम देने के लिए निकल जाते थे। बदमाश रेलकर्मियों के निरंतर संपर्क में रहते थे ताकि पता लगाया जा सके कि किस-किस जगह ट्रेन की रफ्तार धीमी होगी। जिस दिन इन्होंने वारदात को अंजाम दिया, उस दिन भी करोंदा के पास रेलवे का काम चल रहा था, इसके चलते रेल की रफ्तार धीमी हुई। इन बदमाशों के टारगेट पर अक्सर अकेली महिला यात्री होती थी। सोती हुईं महिलाओं का सामान लूटकर आरोपी अपने एक बुजुर्ग साथी गुलाब सिंह के थैले में डाल देते थे, गुलाब उनके साथ एक बड़ा झोला लेकर चलता था ताकि उस पर कोई शक न कर सके। अलसुबह घटना को अंजाम देने के बाद सुबह 9 बजे ललितपुर वापस लौट आते थे।
रेलवे यूनियन कार्ड का सहारा
गिरोह का ऑपरेशन गुलाब सिंह पाल (65) करता था। बुजुर्ग होने के कारण यात्री इस पर शक नहीं कर पाते थे तो गैंग के बाकी के सदस्य लूट-चोरी का माल उसे दे दिया करते थे और वह मौका पाकर नजदीकी स्टेशन पर उतर जाता था। गैंग का एक सदस्य जगत सिंह अभी रेलवे में चाबीमैन है। पूरी गैंग के सदस्य रेलवे यूनियन कार्ड या रेल परिचय पत्र को जेब में रखते थे जिससे न तो टीटीई उनसे पूछताछ करता था और न ही वे टिकट लेते थे।

रेल प्रशासन की गलती मानी 
विशेष पुलिस महानिदेशक रेल मैथिलीशरण गुप्त ने रेलवे प्रशासन की खामियां भी मानी हैं। उनका कहना है कि वे टीटीई पर प्रशासनिक कार्रवाई के लिए डीआरएम को पत्र लिख चुके हैं। घटना के तत्काल बाद टीटीई चेन पुलिंग करके टे्रन को रोककर पुलिस को सूचित भी कर सकते थे। उन्होंने बताया कि आरोपी रेलवे यूनियन के पास को रखकर यात्रा कर रहे थे, जिसको देखकर टीटीई ने उनसे रेल पास और टिकिट नहीं मांगा। यह भी खामी है।

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