गुवाहाटी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर परिषद (जीएसटी) ने 178 वस्तुओं पर जीएसटी दर घटाकर 18 फीसदी कर दिया है। पहले इन वस्तुओं को 28 फीसदी के कर दायरे में रखा गया था। वहीं, सभी रेस्तरां जोकि पांच सितारा होटल से बाहर हैं, उन पर कर की दर 5 फीसदी तय कर दी गई है। हालांकि उन्हें इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा।
जीएसटी के 28 फीसदी स्लैब में अब केवल 50 उत्पाद होंगे, जिनमें व्हाइट गुड्स, सीमेंट और पेंट्स, वाहन, हवाई जहाज और मोटरबोट शामिल हैं।
दो दिवसीय लंबी बैठक के बाद वित्त मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वस्तु एवं सेवा कर परिषद ने 178 वस्तुओं को 28 फीसदी के कर दायरे से बाहर कर दिया है और अब इन वस्तुओं को 18 फीसदी के कर दायरे में लाया गया है। यह इस महीने की 15 तारीख से लागू होगा।
उन्होंने कहा कि दो वस्तुओं के कर दायरे को 28 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया है। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने इससे पहले कहा था कि जल्दबाजी और गलत तरीके से डिजायन किए जाने के कारण पहले तीन महीनों में केंद्र सरकार को 60,000 करोड़ रुपए तथा राज्यों को 30,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
नवीनतम फैसले में, जीएसटी के अंतर्गत लोगों द्वारा समान्य तौर पर उपभोग (मास कंजम्पशन) की जाने वाली वस्तुएं जिनकी राजस्व महत्ता ज्यादा नहीं है, जैसे चॉकलेट, शेविंग सामग्री, शेंपू, स्कीन क्रीम के कर दायरे को घटा दिया गया है।
अब महंगे होटलों को छोड़कर सभी किस्म के रेस्तरां में खाना सस्ता हो जाएगा। इन पर अब 5 फीसदी कर लगाया जाएगा। हालांकि इन्हें अब इनपुट क्रेडिट नहीं दिया जाएगा। जेटली ने कहा कि ये ग्राहकों को इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं दे रहे थे, इसलिए यह सुविधा नहीं दी जाएगी।
जिन होटल के कमरों का किराया 7,500 रुपए या उससे अधिक है, वहां के रेस्तरांओं को 18 फीसदी की दर से जीएसटी चुकाना होगा, साथ ही उन्हें इनपुट क्रेडिट का लाभ भी मिलेगा।
जीएसटी परिषद ने इसके अलावा रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया में छोटे करदाताओं के लिए अनुपालन का बोझ कम किया है। अब 31 मार्च 2018 तक जीएसटीआर 3बी दाखिल किया जा सकेगा।
वित्त सचिव हंसमुख अधिया ने संवाददाताओं को बताया कि सभी करदाताओं को जीएसटीआर 3बी दाखिल करना होगा। हालांकि छोटे कर दाताओं या शून्य कर चुकाने वालों के लिए इसे सरल बनाया गया है। ताकि वे दो या तीन चरणों में अपना रिटर्न दाखिल कर सकें।
उन्होंने बताया कि परिषद ने यह भी निर्णय लिया कि इस वित्तीय वर्ष के लिए केवल जीएसटी 1 भरा जाएगा और क्योंकि हम बैकलॉग में चल रहे हैं जहां हम 11 जुलाई तक केवल जुलाई के लिए रिटर्न दाखिल करेंगे।
उन्होंने कहा कि 1.5 करोड़ से अधिक कारोबार करने वाले करदाताओं के लिए जिनके पास इनवायस की बड़ी संख्या है। हम नहीं चाहते कि उनका रिटर्न एक तिमाही तक लंबित रहे। इसलिए उन्हें अपना इनवायस मासिक दाखिल करना चाहिए।
अधिया ने यह भी कहा कि रिटर्न को सरल बनाने के लिए एक समिति का गठन किया गया है, जो खरीद विवरण को जीएसटीआर 2 के तहत तथा इनवायस के मिलान को जीएसटीआर 3 के अंतर्गत रखने पर काम कर रही है।
परिषद ने यह भी फैसला किया है कि शून्य करदाता के लिए देर से रिटर्न दाखिल करने का शुल्क अब 20 रुपए रोजाना होगा, जो पहले 200 रुपए रोजाना था और अन्य के लिए इसे कम कर 50 रुपये रोजाना कर दिया गया है।
परिषद ने रियल एस्टेट को जीएसटी के अंतर्गत लाने पर फिलहाल फैसले को अगली बैठक तक के लिए टाल दिया है, क्योंकि उनके पास समय कम था।