नई दिल्ली। जीएसटी परिषद ने रविवार को इस बात पर सहमति जताई कि नई कर व्यवस्था पहली जुलाई से लागू की जाएगी, भले ही कुछ मुद्दे लंबित क्यों न हों। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत के पास नई प्रत्यक्ष कर व्यवस्था का क्रियान्वयन टालने का समय नहीं है।
जेटली ने 30 जून की आधी रात से जीएसटी के पूरे देश में लागू होने से पहले हुई जीएसटी परिषद की बैठक के बाद यहां संवाददाताओं से कहा कि जीएसटी परिषद पहली जुलाई से जीएसटी लागू करने पर सहमत है।”
उन्होंने परिषद की अगली बैठक के लिए 30 जून की तिथि घोषित की, और कहा कि कई सारी कंपनियों और कारोबारों ने अपनी खुद की तैयारी न होने का मुद्दा उठाया है। लेकिन हमारे पास जीएसटी क्रियान्वयन को टालने का समय नहीं है।
जेटली ने सरकार की तैयारियों के संदर्भ में कहा कि 80 प्रतिशत से अधिक पंजीकृत निकायों को उनके प्रोविजनल जीएसटी पंजीकरण मिल चुके हैं। उन्होंने कहा कि कुछ नए कारोबार जीएसटी के अधीन पहली बार आएंगे।
जेटली ने कहा कि यदि आप पंजीकरण की पुरानी व्यवस्था से लें, तो इसमें 80.91 लाख करदाता हैं, जिनमें से कुछ बाहर हो जाएंगे। पंजीकरण की स्थिति संतोषजनक होगी और 65.6 लाख को प्रोविजनल पंजीकरण पहले ही मिल चुका है, जो रिटर्न दाखिल करने के लिए पर्याप्त है।
जेटली ने कहा कि इस संबंध में परिषद ने कारोबारों को रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रथम दो महीनों (जुलाई-अगस्त) में ढील दे रखी है। इन्हें शुरुआत में एक साधारण-सा घोषणा-पत्र सौंपने की जरूरत होगी, और बाद में ‘इनवॉयस-बाय-इनवॉयस डेटा’ सौंपने के लिए उन्हें समय मिल जाएगा।
जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद ने लॉटरी टिकेट पर कर के लिए दो स्लैब निर्धारित किए। जहां राज्य संचालित लॉटरी पर जीएसटी के तहत 12 प्रतिशत कर होगा, वहीं राज्य द्वारा अधिकृत निजी लॉटरी पर 28 प्रतिशत कर होगा।
परिषद ने सहमति के अभाव में ई-वे बिल पर निर्णय टाल दिया। इसका अर्थ यह होता है कि जिन राज्यों में ई-वे बिल की व्यवस्था है, वे इसे जारी रख सकते हैं, जबकि अन्य राज्यों को इससे बाहर रखा जाएगा।
जेटली ने कहा कि जबतक किसी ठोस नियम पर सहमति नहीं बन जाती, मौजूदा नियम जारी रहेगा।
परिषद की 17वीं बैठक के दौरान थोड़े समय के विराम के बीच संवाददाताओं से बातचीत में आंध्र प्रदेश के वित्तमंत्री यानामाला रामाकृष्णुडू ने कहा कि उन्होंने आग्रह किया है कि जीएसटी से कपड़ा व उर्वरक को बाहर रखा जाए।
उन्होंने कहा कि एक जुलाई से जीएसटी लागू हो जाने के बाद सभी सीमावर्ती चौकियों से वाणिज्यिक कर हटा दिए जाएंगे।
रामाकृष्णुडू ने कहा कि परिषद ने 11 जून को हुई बैठक में कुछ सामानोंपर दरों की समीक्षा की सहमति के बाद, दूसरे सभी प्रारूपों की दरों की समीक्षा को ठुकरा दिया था।
महाराष्ट्र के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि जीएसटी के तहत ई-वे बिल वैकल्पिक होगा।
उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में ई-वे बिल की सुविधा है, वे इसे जारी रख सकते है। हालांकि, चूंकि महाराष्ट्र में ई-वे बिल सुविधा नहीं है, इसलिए राज्य इसे लागू नहीं कर रहा है।
ई-वे बिल वस्तुओं की आवाजाही के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक वे बिल है, जिसे जीएसटी नेटवर्क पोर्टल से निकाला जा सकता है। 50,000 रुपए से ज्यादा की कीमत वाली वस्तुओं की आवाजाही एक पंजीकृत व्यक्ति के द्वारा ई-वे बिल के बिना नहीं की जा सकती।