सबगुरु न्यूज-सिरोही। पिछले एक दशक में सिरोही शहर का अब तक का सबसे बोरिंग और पकाउ रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन नगर परिषद ने किया। यहाँ खडे हजारों शहरवासी अतिथियों जबरन उनके कानों में भाषण ठूंसे जाने से इतने आजीज आ गए कि उन्हें कोसने तक लगे।
नगर परिषद की ओर से नेहरू पेवेलियन में मंगलवार को रावण दहन किया गया। इसके लिए छह बजे का समय निर्धारित था। आमतौर पर कहीं भी गोधुली वेला के बाद रावण दहन नहीं किया जाता, लेकिन इस बार सिरोही में गोधुली के करीब डेढ घंटा बाद रावण दहन किया गया। गोधुली वेला पर रावण दहन होने की आज तक की परम्परा के चलते शहर के हजारों लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर साढ़े छह बजे तक नेहरू पेवेलियन पहुंच गए।
यहां पर जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक ही 7.05 बजे पहुंचे और मुख्य अतिथि जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया 7.23 बजे यहां पहुंची। इसके बाद स्वागत और सत्कार भाषण चलता रहा। यह सब करीब 8.14 मिनट तक चला और इस पर मंचासीन अतिथियों को जनता के भाव भी दिख गए, और तब रावण दहन की प्रक्रिया शुरू हुई। यह सिरोही का अब तक का संभवतः पहला आयोजन होगा कि यहां के लोगों के मंचासीन अतिथियों के लिए अतिथि तुम कब जाओगे वाली फीलिंग ने जन्म लिया होगा।
-मंच पर माला पहनते रहे जनता कोसती रही
हालात इस हद तक आ गए कि अतिथियों को आयोजक माला और स्मृति चिन्ह पहना कर सम्मान जताते दिखे तो जनता इन अतिथियों और आयोजकों को पानी पी-पी कर कोसती नजर आई।
-बच्चों के सबसे बुरे हाल
इस भाषणबाजी में सबसे ज्यादा सपने बच्चों के तोडे। कई मां-बाप तो बच्चों के उनकी गोद में ही सो जाने के कारण उन्हें रावण दहन दिखाए बिना ही लौटते दिखे। एक बच्चा तो अपने पिता से यह तक पूछता नजर आया कि पापा यहां रावण दहन हो रहा है या भाषण प्रतियोगिता।
-खुद कलक्टर और प्रमुख भी बोले
जनता को अतिथियों के भाषण की कोफ्त जिला प्रमुख और जिला कलक्टर भी भांप गए। जिला कलक्टर ने कहा कि मैं पहली बार ऐसी जनता देख रहा हूं जो तीन घंटे से इस कार्यक्रम को खडे हुए देख रही है। वहीं जिला प्रमुख ने कहा कि आप लोगों के चेहरे के हाव भाव बता रहे हैं कि आप लोगों के सब्र का बांध अब टूटने वाला है।
-पूरा शहर का शिड्यूल बिगाडा
आमतौर पर सिरोही में सवा सात बजे तक रावण दहन होता आया है। इस बार साढे आठ बज गए। ऐसे में पूरे शहर का शिड्यूल बिगड गया। दुकानों पर दुकानदारों को दिक्कत हुई तो इतनी देर होने के कारण घरों से भी लोगों को फोन आते रहे। सिरोही में रावण दहन के बाद जलेबी और फाफडा खाने की परम्परा है ऐसे में हलवाई भी अपनी पहली घाण निकालने के बाद डेढ घंटे तक लोगों का इंतजार ही करते रहे। शहर में हर कहीं अतिथियों के भाषणबाजी पर लोग उन्हें कोसते हुए ज्यादा नजर आए।
-दूसरे आयोजक भी परेशान
रावण दहन कार्यक्रम की अतिथियों की भाषणबाजी के कारण सिरोही शहर में अन्य आयोजनों में भी देरी हुई। कई कार्यक्रम के आयोजक तो बिना रावण दहन के ही निकलते दिखे। राझरोखा में एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम का समय 9 बजे का था, लेकिन नगर परिषद ने अतिथियों के भाषण से लोगों को इस कदर थकवा दिया कि वहां जाने की शक्ति भी लोगों में शेष नहीं रही। खुद आयोजक भी सवा आठ बजे इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजन स्थल पर जाने की बात कहते दिखे।