गांधीनगर। गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आठ सप्ताह के अंदर नियमित पुलिस महानिदेशक नियुक्त करने के आदेश दिए हैं। राज्य में डीजीपी पी. सी. ठाकुर के स्थानांतरण के बाद अप्रैल 2016 से कोई नियमित डीजीपी नहीं है।
ठाकुर के स्थानांतरण के बाद पीपी पांडे को राज्य का नया प्रभारी डीजीपी बनाया गया था, जिसकी नियुक्ति पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। प्रभारी गीता जौहरी के पिछले माह सेवानिवृत्त होने के बाद, सरकार ने प्रमोद कुमार को यहां का प्रभारी डीजीपी बनाया था, जो फरवरी-मार्च 2018 में सेवानिवृत्त होंगे।
गुजरात उच्च न्यायालय ने यह आदेश पूर्व आईपीएस अधिकारी राहुल शर्मा द्वारा जनहित याचिका दाखिल करने के बाद दिया है। शर्मा ने पांडे को प्रभारी डीजीपी नियुक्त किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी।
याचिका में राज्य में पूर्ण-कालिक डीजीपी की नियुक्ति का आदेश देने का आग्रह किया गया है। याचिका में कहा गया है कि नियमित डीजीपी की तैनाती नहीं होने से मौजूदा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है।
मुख्य न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी और न्यायाधीश वीएम पांचोली की पीठ ने याचिका पर सहमति दिखाते हुए सोमवार को राज्य में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति के लिए जरूरी कारवाई करने के आदेश दिए। आदेश पारित होने के आठ हफ्ते के अंदर राज्य में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति करनी होगी।
इससे पहले, दिसंबर माह की शुरुआत में राज्य सरकार ने कहा था कि नियमित डीजीपी की नियुक्ति में देरी राज्य विधानसभा चुनाव की वजह से लागू आचार संहिता की वजह से हो रही है।
निर्वाचन आयोग की ओर से गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अदालत से कहा कि राज्य ने जौहरी के सेवानिवृत्त होने के बाद इसके लिए तीन नाम सुझाए थे।
गुजरात सरकार ने अदालत से कहा कि डीजीपी की नियुक्ति में लंबा वक्त लगता है और नई सरकार बनने के बाद नए डीजीपी की नियुक्ति की जाएगी। राहुल शर्मा ने अदालत में कहा कि सरकार इस स्तर के छह अधिकारी रहने के बावजूद नियमित डीजीपी की नियुक्ति नहीं कर रही है।