अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने बहुचर्चित गुलबर्ग सोसायटी दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को निचली अदालत द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया साथ ही हाई कोर्ट एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।
इस मामले में सुनवाई 3 जुलाई को पूरी कर ली गई थी। हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को मानते हुए मोदी समेत 56 आरोपियों को क्लीनचिट दे दी थी।
गुजरात हाईकोर्ट ने साफ किया है कि गुजरात दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी। जाकिया जाफरी की बड़ी साजिश वाली बात से भी हाईकोर्ट ने इनकार किया है, हालांकि वह आगे अपील कर सकती हैं।
बतादें कि रिव्यू याचिका फाइल करने वालों में जाफरी के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ का एनजीओ सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस भी शामिल है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इन दंगों के पीछे बड़ी आपराधिक साजिश रची गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने इस नए सिरे से जांच की मांग की थी। याचिका में मोदी और 59 अन्य को दंगों को लेकर आपराधिक साजिश रचने का आरोपी बनाए जाने की मांग की गई थी। गौरतलब है कि गोधरा कांड के अगले दिन 28 फरवरी 2002 को गुजरात के गुलबर्ग सोसायटी में भीड़ ने जाफरी समेत करीब 68 लोगों की हत्या कर दी थी।
गुलबर्ग मामले की सुनवाई जब साल 2009 में शुरू हुई थी तब 66 आरोपी बनाए गए थे। इनमें से चार की मौत हो चुकी है। कोर्ट ने जिन 36 आरोपियों को बरी किया उनमें भाजपा का पार्षद भी शामिल है। दंगे में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की भी मौत हो गई थी।