अहमदाबाद/नई दिल्ली। 14 साल पहले 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में हुए दंगा मामले में एसआईटी की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को 24 दोषियों की सजा का ऐलान कर दिया।
इस दंगे में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी। विशेष अदालत ने 11 दोषियों को उम्रकैद और 12 दोषियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। वहीं, एक अन्य दोषी को दस साल की सजा दी गई है।
इससे पहले दो जून को अदालत ने हत्या और अन्य अपराधों के लिए 11 लोगों को दोषी ठहराया था जबकि विहिप नेता अतुल वैद्य समेत 13 अन्य हल्के अपराधों के तहत दोषी ठहराए गए थे। अदालत ने इस मामले में 36 अन्य को बरी कर दिया था।
विशेष अदालत के न्यायाधीश पीबी देसाई ने अभियोजन, बचाव पक्ष के साथ-साथ पीड़ितों के वकील ने दलीलें पूरी होने के बाद घोषणा की थी कि सजा शुक्रवार को सुनाई जाएगी।
बड़े अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए मुख्य आरोपियों में एक कैलाश धोबी भी शामिल है जिसने 13 जून को अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। धोबी को 2002 में गिरफ्तार किया गया था और इस साल फरवरी में अस्थायी जमानत पर रिहा होने के बाद फरार हो गया था।
सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित एसआईटी का प्रतिनिधित्व कर रहे लोक अभियोजक आर सी कोडेकर व पीड़ितों के वकील एसएम वोरा ने आरोपियों के लिए अधिकतम सजा की मांग की।
आरोपी अजय भारद्वाज के वकील ने मृत्युदंड या अधिकतम सजा की मांगों का विरोध किया। उस वक्त मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
इस कांड ने पूरे देश को दहला दिया था क्योंकि तकरीबन 400 लोगों की उग्र भीड़ ने अहमदाबाद के केंद्र में स्थित सोसाइटी पर हमला किया था और जाफरी समेत निवासियों की हत्या कर दी थी।