गुरदासपुर। विधानसभा चुनाव में मिली जीत के सिलसिले को बरकरार रखते हुए पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने गुरदासपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में रविवार को शानदार जीत दर्ज की।
अधिकारियों के अनुसार कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जाखड़ ने 1.93 लाख वोटों से अधिक के अंतर से चुनाव जीता है। उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्वर्ण सलारिया के 3.06 लाख वोटों की तुलना में 4.99 लाख वोट मिले। आम आदमी पार्टी को करीब 24,000 वोट ही मिले।
जाखड़ रविवार सुबह मतगणना शुरू होने के साथ ही बढ़त बनाए हुए थे। कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने परिणाम घोषित होने से पहले ही गुरदासपुर, चंडीगढ़ और अन्य स्थानों पर पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया था।
जाखड़ को उनके विरोधियों द्वारा निर्वाचन क्षेत्र से ‘बाहर का व्यक्ति’ करार दिया गया था। जीत के बाद जाखड़ ने संवाददाताओं से कहा कि हम कांग्रेस की सकारात्मक नीतियों के कारण चुनाव जीते हैं। लोगों को पार्टी पर भरोसा है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने जीत को ‘अभूतपूर्व’ और ‘भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल की जन-विरोधी नीतियों की पूर्ण अस्वीकृति’ करार दिया।
अमरिंदर सिंह ने कहा कि कांग्रेस के उम्मीदवार की भारी जीत से पता चलता है कि जनता ने भ्रष्ट और अनैतिक भाजपा और शिअद को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला राज्य में आम आदमी पार्टी के राजनीतिक सफाए को भी रेखांकित करता है।
उन्होंने कहा कि 1.93 लाख से अधिक मतों के अंतर से हुई यह जीत न केवल 2014 में भाजपा के विनोद खन्ना के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप सिंह बाजवा की 1.36 लाख मतों से हुई हार की भरपाई करती है, बल्कि 1980 में सुखबंस कौर भिंडर (कांग्रेस) की जीत के रिकॉर्ड को भी तोड़ती है, जिन्होंने 1.51 लाख मतों से जीत दर्ज की थी।
इस सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई थी। इस सीट पर चार बार सांसद रहे विनोद खन्ना के अप्रेल में निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी। आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सुरेश कुमार खजूरिया की जमानत जब्त हो गई।
हालिया विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सत्ता में आई कांग्रेस पर चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाते हुए खजूरिया मतगणना केंद्र छोड़कर चले गए थे। वोटों की गिनती गुरदासपुर और पठानकोट शहरों में बने केंद्रों में की गई। 11 अक्टूबर को हुए उप चुनाव में 11 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी।
लगभग 15.22 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से करीब 56 प्रतिशत ने इस चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। 2014 के आम चुनाव में हुए 70 प्रतिशत मतदान के मुकाबले इस बार काफी कम मतदान हुआ।