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गरीब की सेवा से बड़ा कोई पुण्य नहीं है : महंत हनुमानराम - Sabguru News
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गरीब की सेवा से बड़ा कोई पुण्य नहीं है : महंत हनुमानराम

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गरीब की सेवा से बड़ा कोई पुण्य नहीं है : महंत हनुमानराम
Guru Purnima Mahotsav at Santanand udasin Ashram pushkar
Guru Purnima Mahotsav at Santanand udasin Ashram pushkar

अजमेर। पुष्कर में चुंगी चौकी के पास स्थित शान्तानन्द उदासीन आश्रम में रविवार को गुरू पूर्णिमा महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

प्रकाश मूलचन्दानी ने बताया कि आश्रम में सुबह शिव अभिषेक और हवन किया गया। महन्त राम मुनि महाराज और महन्त हनुमानराम उदासीन ने अपने गुरू महंत शांतानन्द उदासीन और हिरदाराम साहेब की वन्दना की।

अनुयायिओं द्वारा महन्त राम मुनि महाराज व महन्त हनुमानराम उदासीन का गुरू पूजन किया गया। सन्तों द्वारा शिष्य दिक्षा और प्रवचन दिए गए। महोत्सव में सत्संग के साथ प्रसाद वितरण और आम भण्डारे का आयोजन रखा गया।

वहीं प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान में नई पहल शुरूकर इस अवसर पर शांतानंद उदासीन आश्रम के महंत हनुमानराम उदासीन को पत्र भेजकर गुरुपूर्णिमा की शुभकामनाएं दीं और आशीर्वाद लिया।

मुख्यमंत्री वसुधरा राजे की ओर से महंत हनुमानराम को शॉल, श्रीफल और 1100 रूपए की गुरू दक्षिणा अजमेर देवस्थान विभाग के अधिकारी गिरीश बच्चानी के बिहाप पर चित्रांग सिंह द्वारा भेंट किए गए।

संदेश में लिखा गया है कि गुरू पुर्णिमा के पुण्य अवसर पर आपका कोटि अभिनन्दन। इस पावन पर्व पर मैं ईश्वर से कामना करती हूं कि हमेशा की भांति आपका आशीर्वाद मिलता रहे। आपके मार्गदर्शन में राजस्थान निरंतर सुख-समृद्धि और उन्नति की ओर बढ़ता रहे।

कंवल प्रकाश ने बताया कि महंत हनुमानराम ने शिष्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरू ब्रह्मलीन स्वामी हिरदाराम कहते थे कि गरीब की सेवा से बड़ा इस दूनिया में कोई पुण्य नहीं है। सेवा और सुमिरन करने वाले को कभी भी कष्ट नहीं भोगना पड़ता। संतों के सान्निध्य में रहने वाला व्यक्ति हमेशा सेवा और सतकर्म के पथ पर अग्रसर रहता है।

साथ ही गुरू के नाम लेने से सभी सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है व जीवन को सार्थक बनाना है तो सिमरन व सेवा करने से लोक परलोक में व्यक्ति अपने जीवन के जन्म को सुधार सकता है व सभी कर्मो से हरी का नाम जपना ही सबसे श्रेष्ठ है।

महंत राममुनि उदासीन ने कहा कि गुरू पुर्णिमा का पर्व वेदव्यास के स्मरण में व्यास पुर्णिमा के अवसर पर मनाया जाता है। गुरू ज्ञान का प्रतीक है। गुरूओं के द्वारा जो शब्द नाम दिया जाता है वो ब्रह्म नाम होता है। गुरू धर्म और अधर्म का विशलेषण कर हमें धर्म के मार्ग पर चलना सीखाता है।

उन्होंने बताया कि जीवन में भजन के साथ परोपकार के कार्य चलते रहे। इस अवसर पर संतों द्वारा प्रवचन और सत्संग के साथ आम भण्डारे का आयोजन भी किया गया। महोत्सव में जयपुर, भीलवाड़ा, जोधपुर, नीमच, आगरा, भरतपुर, कोटा, ग्वालियर, संत हिरदाराम नगर (बेरागढ़), भोपाल, मुम्बई, अजमेर व पुष्कर के अनुयायियों ने गुरू पूजन किया।