नई दिल्ली। देश में सामने आई सबसे बड़ी डेबिट कार्ड डाटा चोरी की घटना में नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। डाटा चोरी का शिकार 19 बैंकों के 65 लाख बैंक खाता धारक 3 महीने तक लुटते रहे और हमारा पूरा सिस्टम कुछ नहीं कर पाया। अब अफरातफरी मची है। सरकार बैंकों से रिपोर्ट मांग रही है। बैंक सफाई दे रहे हैं। ग्राहक एटीएम मशीन से लेकर बैंक और फिर थाने के चक्कर लगा रहे हैं। सवाल ये है कि किसकी गलती है? कौन भरेगा पैसा? आगे ऐसा न हो इसके लिए क्या किया जा रहा है? और सबसे बड़ी बात, आम आदमी ऐसी हैकिंग से बचने के लिए क्या कर सकता है?
एटीएम डेबिट कार्ड फ्रॉड का मामला और बड़ा होने का खतरा है। साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट को आशंका है कि 65 लाख से ज्यादा डेबिड कार्ड का डेटा चोरी हुआ है। हालांकि अभी 32 लाख डेबिट कार्ड के प्रभावित होने की बात कही जा रही है।
इधर महाराष्ट्र साइबर क्राइम सेल ने पूरे मामले में जांच तेज कर दी है और उसने बैंकों से रिपोर्ट मांगी है। खबर ये भी है कि आईटी मिनिस्ट्री के तहत काम करने वाले संगठन सर्ट इन ने साढ़े तीन महीने पहले आरबीआई और बैंकों को साइबर अटैक के खतरे के बारे में बता दिया था। सरकार भी पूरे एक्शन में है। सरकार ने बैंकों से इस बारे में रिपोर्ट मांगी है। आर्थिक मामलों के सेक्रेटरी शक्ति कांत दास ने कहा है कि पूरे मामले में सरकार की नजर है।
डेबिट कार्ड्स पर साइबर हमले ने सबको चिंता में डाल दिया है, जाहिर है आप भी परेशान होंगे। तो हम आपको बताते हैं कि इस काम को कैसे अंजाम दिया गया और आप जालसाजों से कैसे बच सकते हैं।
बिना वक्त गंवाए पहले ये चेक करें कि कहीं आप भी तो इस डाटा चोरी का शिकार नहीं हो गए। इसके लिए अपने बैंक खाते के ट्रांजैक्शन चेक करें। ट्रांजैक्शन के मैसेज चेक करें, ई-मेल देखें और अगर किसी तरह की गड़बड़ी दिखे तो तुरंत बैंक से संपर्क करें। अगर आपको अब तक किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली है तो भी आप कुछ सावधानियां जरूर बरतें।
जैसे कि तुरंत पिन नंबर बदलें और समय-समय पर पिन बदलने की आदत डालें। किसी के साथ पिन नंबर शेयर न करें और एटीएम छोड़ते वक्त कैंसिल बटन जरूर दबाएं। अपने मोबाइल फोन में पिन सेव करके न रखें और एक से ज्यादा अकाउंट्स के लिए एक ही पिन न रखें। अपने बैंक से न्यूनतम निकासी की लिमिट लगवाएं। एसएमएस और मेल पर अलर्ट पाने के लिए रजिस्टर करें।
खबरों के मुताबिक बैंकिंग सुरक्षा में सेंध लगाने की ये वारदात मई से जुलाई के बीच हुई थी। अनुमान लगाया जा रहा है कि बैंकों का एटीएम ट्रांजैक्शन मेंटेन करनेवाली एक कंपनी के सिस्टम में मालवेयर प्रवेश कराया गया होगा। और इस तरह उस सिस्टम से जुड़े तमाम एटीएम मशीनों में स्वाइप किए गए कार्ड्स का डाटा चोरी किया गया होगा। और उनका क्लोन बनाकर पैसे निकाले जा रहे हैं।
प्रभावित कार्ड्स के माध्यम से चीन में गलत तरीके से ट्रांजैक्शन की शिकायतें भी मिली हैं। कुल 30-32 लाख कार्ड्स मालवेयर की चपेट में आए हैं। जितनी तेज गति से हम ऑनलाइन होते जा रहे हैं उसी गति से साइबर सुरक्षा के उपाय भी करने होंगे, लेकिन हर हाल में बीजमंत्र रहेगा – दुर्घटना से भली सावधानी।
अगर आपसे फोन पर या ई-मेल के जरिए या किसी और माध्यम से आपके बैंक खाते के बारे में कोई जानकारी मांगे तो कतई ना दें। और अगर कहीं आप इसका शिकार हो भी जाते हैं तो घबराने की बात नहीं, बैंक आपका पैसा लौटाने के लिए कानूनन बाध्य है। बैंक आनाकानी करे तो आप बैंकिंग लोकपाल के पास भी जा सकते हैं। अपने क्षेत्र के लोकपाल के बारे में जानने के लिए आप रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया की वेबसाइट RBI.ORG.IN पर जा सकते हैं।