नई दिल्ली। करीब ढाई दशक के बाद मुंबई बंदरगाह फिर से हज यात्रियों से गुलजार हो सकता है क्योंकि सरकार की ओर से गठित एक समिति हज के लिए समुद्री मार्ग का सफर फिर शुरू करने पर विचार कर रही है।
सरकार की ओर से हज नीति-2018 तय करने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति हज यात्रियों को समुद्री मार्ग से सउदी अरब के जेद्दा शहर भेजने के विकल्प पर गौर कर रही है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि हजयात्रियों के मुंबई से समुद्री मार्ग के जरिए जेद्दा जाने का सिलसिला 1995 में रूक गया था क्योंकि जहाज एमवी अकबरी काफी पुराना हो गया था।
साल 2012 में उच्चतम न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखते हुए फिर से इस विकल्प पर विचार किया जा रहा है। देश की सर्वोच्च अदालत ने सरकार से कहा था कि हजयात्रियों को हवाई मार्ग से जाने पर मिलने साली सब्सिडी को साल 2022 तक खत्म किया जाए।
मंत्रालय में एक सूत्र ने कहा कि हज यात्रियों को जहाज से भेजने पर यात्रा संबंधी खर्च ‘करीब आधा’ हो जाएगा। मौजूदा समय में मुुंबई और दिल्ली सहित 21 स्थानों से हज की उड़ाने जेद्दा के लिए जाती हैं।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि समिति समुद्री मार्ग सहित सभी विकल्पों पर गौर रही है। अगर चीजें तय हो जाती हैं तो फिर यह एक क्रांतिकारी और हजयात्रियों के हित में फैसला होगा।
समिति की तरफ से मुंबई के अलावा कोलकाता और कोच्चि बंदरगाहों से भी हजयात्रियों के जाने के विकल्प पर विचार हो रहा है। नकवी ने कहा कि उनका मंत्रालय बंदरगाहों की उपलब्धता के बारे में पोत परिवहन मंत्रालय के साथ बातचीत करेगा।