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सामाजिक सरोकार वाली फिल्में बनाने में माहिर हैं एन. चन्द्रा - Sabguru News
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सामाजिक सरोकार वाली फिल्में बनाने में माहिर हैं एन. चन्द्रा

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सामाजिक सरोकार वाली फिल्में बनाने में माहिर हैं एन. चन्द्रा
Chandrashekhar Narvekar
Chandrashekhar Narvekar
Chandrashekhar Narvekar

मुंबई। बॉलीवुड में एन.चंद्रा को एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर शुमार किया जाता है जिन्होंने सामाजिक पृष्ठभूमि पर फिल्में बनाकर दर्शकों के बीच अपनी खास पहचान बनाई है।

एन. चन्द्रा का मूल नाम चंद्रशेखर नरभेकर है। उनका जन्म 4 अप्रेल 1952 को मुंबई में हुआ था। उनकी मां मुंबई महानगरनिगम में बतौर लिपिक थी जबकि उनके पिता फिल्म सेंटर में लैबोरेटरी प्रभारी के रूप में काम किया करते थे।

एन.चंद्रा ने स्नातक की पढ़ाई मुंबई विश्वविद्यालय से पूरी की। इसके बाद वह निर्माता-निर्देशक सुनील दत्त के साथ बतौर सहायक एडिटर काम करने लगे। बतौर एडिटर उन्होंने अपने कैरियर की शुरूआत वर्ष 1969 में प्रदर्शित फिल्म रेशमा और शेरा से की।

इस बीच उन्होंने प्राण मेहरा, वमन भोंसले के साथ भी बतौर सहायक संपादक काम किया। इसके बाद वह निर्माता-निर्देशक गुलजार के साथ जुड़ गए और बतौर सहायक निर्देशक काम करने लगे।

एन चंद्रा ने बतौर निर्माता-निर्देशक अपने सिने करियर की शुरूआत वर्ष 1986 में प्रदर्शित फिल्म अंकुश से की। सामाजिक पृष्ठभूमि पर आधारित इस फिल्म की कहानी कुछ ऐसे बेरोजगार युवकों पर आधारित थी जो काम नही मिलने पर समाज से नाराज हैं और उल्टे सीधे रास्ते पर चलते है।

ऐसे में उनके मुहल्ले में एक महिला अपनी पुत्री के साथ रहने के लिए आती है जो उन्हें सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती है। फिल्म अंकुश बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई।

वर्ष 1987 में एन. चंद्रा के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म प्रतिघात प्रदर्शित हुई। आपराधिक राजनीति की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म भ्रष्ट राजनीति को बेनकाब करती है।

फिल्म की कहानी अभिनेत्री सुजाता मेहता के इर्द गिर्द घूमती है जो समाज में फैले भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नही करती है और गुंडे काली का अकेले मुकाबला करती है हालांकि इसमें उसे काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है लेकिन अंत में वह विजयी बनती है।

वर्ष 1988 में प्रदर्शित पिल्म तेजाब उनके सिने करियर की सर्वाधिक सुपरहिट फिल्म में शुमार की जाती है। फिल्म की कहानी में अनिल कपूर ने एक सीधे सादे नौजवान की भूमिका निभाई जो देश और समाज के प्रति समर्पित है लेकिन समाज के फैले भ्रष्टाचार की वजह से वह लोगो की नजर में तेजाब बन जाता है जो सारे समाज को जलाकर खाक कर देना चाहता है।

बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने न सिर्फ एन.चंद्रा को बल्की अभिनेता अनिल कपूर और अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को भी शोहरत की बुंलदियों पर पहुंचा दिया। आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

लक्ष्मीकांत -प्यारे लाल के संगीत निर्देशन में अलका याज्ञनिक की दिलकश आवाज में रचा बसा यह गीत एक दो तीन चार पांच उन दिनों श्रोताओं के बीच क्रेज बन गया था जिसने फिल्म को सुपरहिट बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और आज भी यह गीत श्रोताओं के बीच शिद्धत के साथ सुना जाता है।

वर्ष 1991 में प्रदर्शित फिल्म नरसिम्हा एन चंद्रा के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है।

फिल्म की कहानी एक ऐसे युवक नरसिम्हा के इर्द गिर्द घूमती है जो अपनी जिंदगी से हताश है और प्रांत के सरगना बापजी के इशारे पर आपराधिक काम किया करता है लेकिन बाद में उसे अपनी भूल का अहसास होता है और वह बापजी के विरुद्ध आवाज उठाता है और उसमें विजयी होता है।

फिल्म में नरसिम्हा की टाइटिल भूमिका सन्नी देवोल ने जबकि बापजी की भूमिका ओमपुरी ने निभाई थी। वर्ष 1992 से 2000 तक का वक्त उनके सिने केरियर के लिए बुरा साबित हुआ।

उनकी हमला, युगांधर, तेजस्वनी, बेकाबू, वजूद, शिकारी जैसी कई फिल्में बॉक्स आफिस पर असफल हो गई लेकिन वर्ष 2002 में प्रदर्शित फिल्म ‘स्टाईल’ की कामयाबी के बाद एन.चन्द्रा एक बार फिर से अपनी खोई हुई पहचान बनाने में सफल रहे।

फिल्म स्टाइल के पहले एन.चंन्द्रा सामाजिक सरोकार वाली थ्रिलर फिल्म बनाने के लिए मशहूर थे लेकिन इस बार उन्होंने फिल्म में हास्य को अधिक प्राथमिकता दी थी। फिल्म में उन्होंने दो नए अभिनेता शरमन जोशी और साहिल खान को काम करने का अवसर दिया।

दोनों ही अभिनेता उनकी कसौटी पर खरे उतरे और जबरदस्त हास्य अभिनय से दर्शकों को हंसाते हंसाते लोटपोट कर फिल्म को सुपरहिट बना दिया।

वर्ष 2003 में एन .चन्द्रा ने अपनी फिल्म स्टाइल का सीक्वल, एक्सक्यूज मी बनाया जिसमें उन्होंने एक बार फिर से फिल्म में शरमन जोशी और साहिल खान की सुपरहिट जोड़ी को रिपीट किया। लेकिन कमजोर पटकथा के अभाव में इस बार फिल्म् टिकट खिड़की पर असफल हो गई।

बहुमखी प्रतिभा के धनी एन.चंद्रा ने फिल्म निर्माण और निर्देशन की प्रतिभा के अलावा अपने लेखन संपादन से भी सिने दर्शकों को अपना दीवाना बनाया है। उन्होंने बेजुबान, वो सात दिन, धरम और कानून, मोहब्बत, मेरा धर्म, प्रतिघात, तेजाब जैसी फिल्मों का संपादन किया। इसके अलावा उन्होंने अंकुश, प्रतिघात, तेजाब, नरसिम्हा जैसी हिट फिल्मों में बतौर लेखक काम किया।