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Happy birthday Mumtaz - एक्ट्रेस मुमताज का जन्मदिन
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happy birthday : मुमताज, जिन पर शम्मी कपूर फिदा थे

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happy birthday : मुमताज, जिन पर शम्मी कपूर फिदा थे
Happy birthday Legendary bollywood actress Mumtaz
Happy birthday Legendary bollywood actress Mumtaz
Happy birthday Legendary bollywood actress Mumtaz

नई दिल्ली। ‘गोरे रंग पे न इतना गुमान कर’ गाना गुजरे जमाने की जिस मशहूर अदाकारा पर फिल्माया गया था, वह हैं मुमताज। वर्ष 1974 की फिल्म ‘रोटी’ के इस खूबसूरत गीत को किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने अपने मधुर सुरों से सजाया था।

मुमताज ने अपनी बड़ी-बड़ी आंखों, काले बाल, गोरे रंग और अभिनय की अनोखी अदा से सभी पर अपना जादू बिखेरा। उन्होंने 60-70 के दशक में अपने खूबसूरत अंदाज से दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया था। उस दौर में बच्चों-बच्चों की जुबां पर उनका नाम था।

मुमताज का नाम बॉलीवुड की बेहतरीन अभिनेत्रियों में शुमार है। उन्होंने कई फिल्मों में अपने अभिनय के जलवे बिखेरे और एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं।

उनका जन्म 31 जुलाई, 1947 को मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ। घर की माली हालत खस्ता थी, सो महज 12 वर्ष की उम्र में उन्हें मनोरंजन-जगत में कदम रखना पड़ा। अपनी छोटी बहन मलिका के साथ वह रोजाना स्टूडियो के चक्कर लगाया करतीं और जैसी चाहे वैसी छोटी-मोटी भूमिका मांगती थीं।

उनकी मां नाज और चाची नीलोफर पहले से फिल्मी दुनिया में मौजूद थीं। लेकिन दोनों जूनियर आर्टिस्ट होने के नाते अपनी बेटियों की सिफारिश करने के योग्य नहीं थीं। मुमताज ने जूनियर आर्टिस्ट से स्टार बनने का सपना अपने मन में संजोया था और उन्होंने यह सच कर दिखाया।

अपनी लगन और मेहनत से 70 के दशक में उन्होंने स्टार की हैसियत हासिल कर ली। उस दौर के कई नामी सितारे, जो कभी मुमताज का नाम सुनकर मुंह बनाते थे, वे भी उनके साथ काम करने को बेताब रहने लगे।

मुमताज ने दारा सिंह से लेकर दिलीप कुमार जैसे महान कलाकारों के साथ अभिनय कर सफलता के सोपान चढ़ती चली गईं। उन्होंने शम्मी कपूर, देवानंद, संजीव कुमार, जितेंद्र और शशि कपूर जैसे सितारों के साथ काम किया, मगर राजेश खन्ना के साथ उनके काम को सबसे ज्यादा सराहा गया।

कहना चाहिए कि दारा सिंह के बाद मुमताज की जोड़ी राजेश खन्ना के साथ जमी। मुमताज और राजेश की फिल्में देखने के लिए सिनेमाघरों में भीड़ उमड़ती थी। उनकी फिल्म ‘दो रास्ते’ की सफलता के साथ दोनों ने सफलता का एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया।

वर्ष 1969 से 1974 तक इन दोनों कलाकारों ने ‘सच्चा झूठ’, ‘अपना देश’, ‘दुश्मन’, ‘बंधन और रोटी’ जैसी शानदार फिल्में दीं।

मुमताज ने लगभग दस वर्ष तक बॉलीवुड पर राज किया। वह शर्मिला टैगोर के समकक्ष मानी गईं और उन्हें मेहनताना भी उन्हीं के बराबर मिलता था। देव आनंद की फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ मुमताज के करियर को सुनहरा कर देने वाली फिल्म थी।

सत्तर के दशक तक मुमताज का भी स्टार बनने का सपना सच हो गया था। उन्होंने गुजराती मूल के लंदनवासी मयूर वाधवानी नामक व्यवसायी से 1974 में शादी की और ब्रिटेन में जा बसीं। शादी के पहले उनका नाम संजय खान, फिरोज खान, देव आनंद जैसे कुछ सितारों के साथ जोड़ा गया था, लेकिन अंत में मयूर पर उनका दिल आ गया।

मुमताज जब 18 साल की थीं, तभी शम्मी कपूर ने उन्हें शादी के लिए प्रपोज किया था। उस समय मुमताज भी शम्मी से प्यार करती थीं। शम्मी चाहते थे कि मुमताज अपना फिल्मी करियर छोड़कर उनसे शादी कर लें। लेकिन मुमताज के इनकार के बाद शम्मी के साथ उनका प्रेम-संबंध खत्म हो गया।

शादी के बाद भी मुमताज की तीन फिल्में रिलीज हुईं, जिनकी शूटिंग उन्होंने शादी से पहले ही पूरी कर ली थी। फिल्मों के प्रस्ताव हालांकि उन्हें शादी के बाद भी मिलते रहे।

उन्हें 53 वर्ष की उम्र में कैंसर हो गया था। हालांकि, अब इस बीमारी से उन्होंने निजात पा लिया है। अब उन्हें थायराइड संबंधी समस्याएं परेशान कर रही हैं। उनकी दो बेटियां हैं।

हाल ही में खबर आई थी कि मुमताज की अपने पति से अनबन चल रही है और दोनों अलग होने वाले हैं। लेकिन मुमताज ने अपने पति का साथ अभी नहीं छोड़ा है।

मुमताज ने ‘दो रास्ते’, ‘आप की कसम’, ‘खिलौना’, ‘लोफर’, ‘प्रेम कहानी’, ‘दुश्मन’, ‘रोटी’, ‘हरक्यूलिस’, ‘फौलाद’, ‘वीर भीम सेन’, ‘सैमसन’, ‘टार्जन कम टू दिल्ली’, ‘आंधी और तूफान’, ‘सिकंदरे आजम’, ‘टार्जन एंड किंगकांग’, ‘रुस्तमे हिंद’, ‘राका’, ‘बॉक्सर’, ‘जवान मर्द’, ‘डाकू मंगल सिंह’ और ‘खाकान’ जैसी फिल्मों में काम किया।

उन्होंने वर्ष 1967 की फिल्म ‘राम और श्याम’ व 1969 की फिल्म ‘आदमी और इंसान’ के लिए फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिग एक्ट्रेस अवार्ड जीता। वर्ष 1971 में उन्हें ‘खिलौना’ के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार मिला था।

उन्हें 1996 में प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी (आईफा) में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और 2008 में आईफा उत्कृष्ट योगदान मानद पुरस्कार से नवाजा गया।

मुमताज के जन्मदिन पर हम उनकी लंबे जीवन की कामना करते हैं और कहते हैं- तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हों पचास हजार!