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पूरी दुनिया में नए साल २०१५ का जोरदार स्वागत - Sabguru News
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पूरी दुनिया में नए साल २०१५ का जोरदार स्वागत

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जयपुर। नए साल २०१५ का पूरी दुनिया में  उल्लास से स्वागत किया गया। बीती रात को १२ बजते  ही आतिशबाजी और पटाखों की गूंज सुनाई देने लगी। हैप्पी न्यू ईयर बोलकर लोगों ने एक दूसरे को बधाई दी। कमोबेश यह नजारा भारत के हर शहर में था।

राजधानी दिल्ली समेत सभी मेट्रो सिटी में चल रही पार्टयों की रौनक रातभ्भ्भ्भर परवान पर रही। लोगों ने सड़कों पर जश्न मनाया। घरों में भ्भी लोग जाग रहे थे। दुनिया में सबसे पहले न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में स्काई टॉवर से आतिशबाजी कर नए साल का स्वागत किया गया और लोगों ने एक-दूसरे को नए साल की बधाइयां दी।

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ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के ओपेरा हाउस में हार्बर ब्रिज शानदार आतिशबाजियों से जगमगा उठा। न्यूजीलैंड के आकलैंड सहित दुनिया के कई हिस्सों में नए साल यानी 2015 का जश्न मनाया जा रहा है। नए साल के स्वागत को लेकर राजधानी दिल्ली सहित पूर देश ने तैयारी कर रखी थी।

नए साल के जश्न के लिए पब, रेस्तरां, बाजार, मॉल और अन्य लोकप्रिय स्थलों को खूब सजाया गया जबकि किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए सुरक्षा कड़ी की गई एवं कुछ पाबंदियां भी लगाई गईं।

खासकर दिल्ली पुलिस शहर के दो पांच सितारा होटलों पर संभावित आतंकवादी हमले के बारे में खुफिया अलर्ट प्राप्त होने, आस्ट्रेलिया के सिडनी में एक कैफे तथा पेशावर के एक आर्मी स्कूल पर हाल के आतंकवादी हमले एवं बेंगलरू विस्फोट के बाद एकदम चौकन्नी रही। प्रतिष्ठित होटलों के बाहर विशेष टीमें तैनात की गईं जबकि विद्यालयों की सुरक्षा के लिए विशेष कदम पहले ही उठाए गए।

कहीं गोली दागकर, कहीं अंगूर खाकर मनाते हैं नव वर्ष

2014 विदा होने को है और 2015 की आहट सुनाई देने लगी है। खास बात यह है कि नए साल को विश्व के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुचने में 26 घंटे लग जाते हैं। यह सबसे पहले प्रशांत महासागर के समोआ द्वीप में दस्तक देता है और आखिर में यह अमरीका के बेकर द्वीप पर पहुंचता है। कहीं इसका स्वागत गोली दाग कर तो कहीं घंटी बजाकर और कहीं अंगूर खाकर किया जाता है।

बुधवार रात घड़ी की सुइयों के 12 बजाते ही भारत मे नए साल का जश्न शुरू हो जाएगा लेकिन समोआ द्वीप में इससे आठ घंटे पहले ही साढे तीन बजे ही नए साल का जश्न शुरू हो चुका होगा। लेकिन अमरीका के बेकर आइलैंड के लोगों को इसके लिए और इंतजार करना पडेगा क्योंकि यह वहां गुरूवार शाम 5.30 बजे पहुंचेगा।

पृथ्वी के एक छोर पर स्थित होने के कारण कुछ साल पहले तक समोआ सूर्यास्त देखने वाला अंतिम छोर होता था और इसी कारण वहां नया साल भी सबसे बाद में आता था। यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि 2011 में इस द्वीपीय देश ने शुक्रवार 30 दिसंबर के दिन को कैलेंडर से ही निकाल दिया और उसके बाद से यह नए साल का स्वागत करने वाला पहला देश बन गया।

समोआ के बाद नव साल न्यूजीलैंड के चाथाम द्वीप पर शाम साढे पांच बजे रूस के कुछ हिस्सों तथा मार्शल द्वीप समूह में साढे छह बजे, आस्ट्रेलिया के मेलबर्न, सिडनी आदि क्षेत्रों में शाम साढे आठ बजे, जापान दक्षिण कोरिया, शाम आठ बजकर 45 मिनट पर चीन मे साढ़े दस बजे, इंडोनेशिया और थाइलैंड में 11 बजे के बाद नेपाल और भारत में नव वष्ाü दस्तक देगा। इसके बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान होता हुआ नववर्ष सबसे अंत में साढ़े पांच बजे अमरीका के बेकर द्वीप पहुंचेगा।

अलग अलग देशों में नया तरीका जिस तरह से पूरी दुनिया में एक साथ नया साल नहीं आता उसी तरह अलग-अलग देशों में नववर्ष के जश्न का तरीका एक जैसा नहीं है। इसे अंधविश्वास कहें या फिर पर ंपरा कि तमाम देशों के लोग साल भर के शुभ अशुभ को ध्यान में रखते हुए पंरपरागत तरीके से ही नया वर्ष मनाना पंसद करते हैं। समोआ में जहां के निवासी स्वभाव से शांत प्रवृत्ति के हैं वहां लोग नववर्ष का स्वागत आतिशबाजी से करते हैं और वे आग के इर्द गिर्द नृत्य करते हुए रात गुजारना शुभ मानते हैं।

थाइलैंड में दुर्भाग्य को वर्षभर दूर रखने के लिए हवा में गोलियां दागी जाती हैं। इटली सहित अनेक देशों में नया साल आते ही चर्च की घंटिया बजाई जाती है। स्विट्जरलैंड में तेज आवाज में ड्रम बजा कर नए वर्ष का स्वागत किया जाता है। कई मुल्कों में नए वर्ष में खास व्यंजन बनाना शुभ मानते हैं। स्पेन के लोगों का मानना है कि अगर साल के 12 महीने अच्छे से गुजारने हैं तो घड़ी में बाहर बजते ही 12 अंगूर खाने चाहिए। इससे वर्ष भर सुख समृद्धि आती है।

एस्टोनिया में लोग नए साल की पूर्व संध्या पर 12 बार खाना खाते हैं। यूनानी लोग इस दिन अपने दरवाजों पर प्याज टांगने को शुभ मानते हैं। हालैंड में लोग नववर्ष पर टोस्ट और वाइन लेना पसंद करते हैं। नए वर्ष में उपहार देने का प्रचलन भी प्राचीन समय से है। रोम के लोग सिक्के उपहार में देते थे तो पर्शिया के लोग अंडे जबकि मिस्र के लोग मिट्टी की बनी सुराही देना पसंद करते थे।