नई दिल्ली। मिस वर्ल्ड-2017 मानुषी छिल्लर इस बात को लेकर खुशी महसूस करती हैं कि हरियाणा के लोग महिलाओं को अलग नजरिए से देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सौंदर्य प्रतियोगिता में उनकी जीत से निश्चित रूप से बदलाव आएगा और यह जीत राज्य की लड़कियों को प्रोत्साहित करेगी।
मानुषी से जब पूछा गया कि उनकी जीत राज्य की लड़कियों को नया जीवन कैसे देगी तो उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि जब किसी समुदाय की महिलाएं या लोग अच्छा काम करते हैं तो यह सभी लड़कियों के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन होता है, विशेष रूप से हरियाणा जैसे जगह के लिए जिसके बारे में लोग सोचते हैं कि महिलाओं को यहां खास तव्वजो नहीं मिलती। लेकिन, अब नक्शा बदल रहा है।
उन्होंने कहा कि उनके राज्य में खास उपलब्धि प्राप्त करने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं। मानुषी ने कहा कि मैं खुश हूं कि हरियाणा के लोग महिलाओं को अब अलग नजरिए से देख रहे हैं। हां, सौंदर्य प्रतियोगिताओं में मेरे राज्य से ज्यादा भागीदारी नहीं हुई, लेकिन अब नक्शा बदल रहा है और मुझे खुशी है कि लड़कियां ब्यूटी क्वीन बन रही हैं।
वह पिछले हफ्ते विश्व सुंदरी के ताज के साथ भारत लौटीं और यहां अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उनका जोरदार स्वागत हुआ। वह मीडिया को संबोधित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी मंगलवार को पहुंचीं।
मीडिया से बातचीत के दौरान मानुषी के साथ उनके चिकित्सक माता-पिता मित्रबसु और नीलम छिल्लर और भाई व बहन भी थे। उनके साथ मिस वर्ल्ड संस्था की अध्यक्ष जूलिया मोर्ली भी थीं।
मोर्ली ने बताया कि मानुषी के ‘ब्यूटी विद अ परपस’ पहल, जिसके अंतर्गत उन्होंने माहवारी स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर जागरूकता फैलाने की कोशिश की, ने उन्हें अन्य प्रतियोगियों के मुकाबले बढ़त दी।
तरुण तहिलयाणी के डिजाइन किए सूट में बेहद खूबसूरत दिख रहीं मानुषी ने कहा की जीत के बाद वह स्थानीय सैनिटरी पैड निर्माताओं के साथ सहयोग करने में सक्षम हुई हैं और वह इस जीत के साथ इसे अगले स्तर पर ले जा सकती हैं।
मानुषी ने कहा कि उनकी नजर में एक मां का स्वास्थ्य समाज का स्वास्थ्य होता है। उन्हें खुशी है कि वह एक ऐसे परिवार में पली-बढ़ी जहां उनकी मां ने पोषण व सेहत को महत्व दिया। उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता एक एनजीओ चलाते हैं, जहां 500 से ज्यादा महिलाओं को पोषक तत्व युक्त आहार उपलब्ध कराया जाता है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि भारत में एनीमिया के ज्यादातर मामले देखने को मिलते हैं।