नई दिल्ली। गुजरात के पाटिदार समुदाय के युवा नेता हार्दिक पटेल की बिहार में रैलियां कर खेल बिगाडने की धमकी को भाजपा गंभीरता से नहीं ले रही है।
पार्टी का मानना है कि पटेल नवनिर्माण सेना (पनसे) का आंदोलन आपसी फूट के कारण बिखरता जा रहा है। अमेरिका में भी पटेल आंदोलन को समर्थन नहीं मिलने से भाजपा के हौंसले बुलंद हैं।
अमेरिका में पाटिदार समुदाय के एक बडे समूह ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की यात्रा के दौरान प्रस्तावित विरोध रैली से किनारा कर लिया है। उत्तरी कैरोलाइना से बलदेव ठक्कर ने एक विज्ञप्ति जारी कर पाटिदार समुदाय की ओर से प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का समर्थन किया है।
22 वर्षीय हार्दिक पहली बार सुर्खियों में एक माह पहले ही आये थे। हार्दिक ने 25 अगस्त को ओबीसी कोटा को लेकर भाजपा-नेतृत्व वाली गुजरात सरकार के खिलाफ विशाल रैली में की थी। इस दौरान उनके भडकाउ भाषण से प्रदर्शनकारी बेकाबू हो गए और हंगामा खड़ा कर दिया था। उन्हें शांत करने के लिए पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया तो हिंसा भडक उठी और इसमें दस लोग मारे गए थे।
पटेल समुदाय के वरिष्ठ नेताओं को आंदोलन के पीछे की राजनीतिक महत्वकांक्षा समझ आ गया कि तो उनका हार्दिक से मोहभंग हो गया। अपार जनसमर्थन का दंभ भरने वाले हार्दिक को पहला झटका 19 सितंबर को लगा। जब हार्दिक पटेल को सूरत में उनके 50 समर्थकों के साथ गिरफ्तार किया गया और छुडाने के लिए देशव्यापी जेल भरो आंदोलन के आह्वान के बावजूद इक्का-दुक्का लोग ही सडकों पर उतरे।
पटेल समुदाय का मूंड भांपकर पनसे के राष्ट्रीय सचिव अखिलेश कटियार ने गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल से अनुरोध किया कि हार्दिक पटेल को तुरंत रिहा करवाएं, हमें शांतिपूर्ण जुलूस निकालने की अनुमति दें और आरक्षण की हमारी मांग स्वीकार करें। इसके बाद देरशाम उन्हें रिहा कर दिया गया।
गुजरात रैली जैसे करिश्मे की आस लिए जब हार्दिक रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे तो यहां उन्हें मायूसी ही हाथ लगी। उन्हें उम्मीद थी कि गुर्जर नेताओं का समर्थन मिलेगा और वे इसी सहारे देश भर में कुर्मी और कोइरी आदि समान बिरादरियों को जोड़ कर आरक्षण का आंदोलन चलाएंगे लेकिन दिल्ली में उन्हें जोर का झटका लगा।
गुर्जर महासभा के नेताओं और बिरादरी की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला बल्कि उनके सवालों के घेरे में हार्दिक फंस कर रह गए। उनका सवाल था कि क्यों गुर्जर उनका साथ दे? उन्हें किस तरह से अपना मानें, उन्होंने अन्य पिछड़ा आयोग में अपनी अर्जी दी है क्या? बिना तैयारी आरक्षण मिलने का कहीं वह हाल तो नहीं होगा जो हरियाणा में जाटों का हुआ। हार्दिक पत्रकारों के सामने भी पटेल आरक्षण आंदोलन की कोई रूपरेखा पेश नहीं कर पाए थे।
जाट नेता और भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी हार्दिक के आंदोलन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस तरह से गैर कानूनी आंदोलन चलाने से आरक्षण नहीं मिलेगा। देश के प्रधानमंत्री खुद ओबीसी हैं, उनके चलते तमाम सहुलियतें मिली हुई हैं। गुर्जर राष्ट्रवादी सोच के लोग हैं वे इस तरह के आंदोलन में शामिल नहीं होंगे।