नई दिल्ली। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल को राष्ट्रद्रोह के एक मामले में सुप्रीमकोर्ट से भी फौरी राहत नहीं मिली। शीर्ष अदालत ने गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज देशद्रोह का मामला निरस्त करने का उनका अनुरोध ठुकरा दिया।
न्यायाधीश जेएस केहर और न्यायाधीश आर भानुमति की पीठ ने हार्दिक का अनुरोध यह कहते हुए ठुकरा दिया कि जब तक उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह के आरोपों की जांच नहीं हो जाती तब तक उनकी याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ राष्ट्रद्रोह के आरोपों की जांच जारी रहेगी। हालांकि न्यायालय ने गुजरात पुलिस को बगैर उसकी अनुमति के अगली सुनवाई तक आरोपपत्र दायर नहीं करने को कहा है।
न्यायालय ने मामले की सुनवाई अगले वर्ष पांच जनवरी तक के लिए स्थगित करते हुए गुजरात पुलिस को जांच के लिए डेढ़ माह का वक्त दिया। इसके साथ ही हार्दिक पटेल के अगली पांच जनवरी तक जेल से रिहा होने के आसार कम नजर आ रहे हैं। हार्दिक की ओर से मामले की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने की।
गौरतलब है कि गत चार नवम्बर को न्यायालय की एक पीठ ने हार्दिक की याचिका दूसरी पीठ के पास भेज दी थी। न्यायाधीश वी गोपाल गौड़ा और न्यायाधीश अमिताभ रॉय की पीठ ने हार्दिक की ओर से पेश सिब्बल की दलीलें लगभग 45 मिनट तक सुनीं थी और उसके बाद मामले को दूसरी पीठ के समक्ष भेजने का निर्णय लिया था।
हार्दिक ने राष्ट्रद्रोह के मामले के खिलाफ गुजरात हाईैकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से राहत नहीं मिलने के बाद वह शीर्ष अदालत पहुंचे हैं। हार्दिक फिलहाल सूरत जेल में बंद हैं। उच्च न्यायालय ने पिछले महीने हार्दिक की याचिका खारिज कर दी थी। उसने कहा था कि पहली नजर में हार्दिक के खिलाफ राजद्रोह का मामला बनता है।
हार्दिक ने गत तीन अक्टूबर को एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने विपुल देसाई नाम के एक लड़के द्वारा आत्महत्या करने की बात पर कहा था कि दो-चार पुलिसवालों को मार देना, लेकिन खुदकुशी मत करना। इस बयान का वीडियो वायरल हो गया था। इसी के आधार पर पुलिस ने राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किया है।
देशद्रोह का मामला हार्दिक पटेल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत देशद्रोह, अपराध के लिए उसकाने, अफवाह फैलाने या गलत बयानी करने और आपराधिक धमकी देने के अपराध के प्रावधान के तहत दर्ज प्राथमिकी से संबंधित है।
गुजरात उच्च न्यायालय पहले ही पुलिसकर्मियों की कथित रूप से हत्या करने का सुझाव देने संबंधी बयान के संबंध हार्दिक पटेल के खिलाफ दर्ज देशद्रोह का मामला निरस्त करने से इंकार कर चुका है।
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 121 सरकार के खिलाफ युद्ध छेडऩे धारा 124 देशद्रोह, धारा 153-ए विभिन्न समुदायों में कटुता पैदा करना और धारा 153-बी राष्ट्रीय एकता को खतरा पैदा करने वाली गतिविधि के तहत छह व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
शहर की अपराध शाखा ने हार्दिक और पांच अन्य के खिलाफ देशद्रोह के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी। इस प्राथमिकी में कहा गया है कि इस युवा नेता ने कथित रूप से अपने समुदाय को गुजरात सरकार के खिलाफ युद्ध छेडऩे के लिये हिंसक तरीके अपनाने के लिए उकसाया था।