सूरत। जमानत मिलने के साथ जेल से बाहर आने का रास्ता साफ होने के बाद हार्दिक पटेल ने अपने अधिवक्ता यशवंत वाला के जरिए मीडिया को एक पत्र लिखा है, जिसमें उसने पाटीदार समाज के लोगों से अपील की है कि उसके जमानत पर रिहा होने का जश्न पटाखे फोड़ कर न मनाए, क्योंकि आंदोलन में शहीद हुए पाटीदार युवाओं की चिता अभी ठंडी नहीं हुई है।
उसने लिखा है कि भारत के संविधान पर पूरा भरोसा है और निर्दोष तथा गरिब के लिए न्यायतंत्र पर पूरा भरोसा और विश्वास था। लंबे असरे बाद जीत हुई है, लेकिन इस जीत को पटाखें जला कर नहीं मनानी है।
राजद्रोह और लूट तथा तोडफ़ोड़ के मामले में जमानत मिलने के बाद सोमवार को अधिवक्ता यशवंत वाला हार्दिक से मिलने लाजपोर जेल पहुंचे थे। यहां पर हार्दिक ने उन्हें एक पत्र दिया और यह गुजरात के सभी मीडिया हाउस तक पहुंचाने के लिए कहां। हार्दिक ने पत्र में न्यायतंत्र और संविधान पर भरोसा जताया है और लिखा है कि अपना देश लोकशाही तौर पर चलता है तो हमे अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी ही चाहिए। मैं कभी हिंसा का समर्थन नहीं करता हूं और ना ही किसी से डरता हूं।
दोस्तो, शहीदों की चिता अभी ठंडी नहीं हुई है, मेरी जेल मुक्ति से उत्साह होगा, लेकिन पटाखें मत जलाना। आंदोलन को लेकर समाज से मैंने कभी धोखा नहीं किया है और ना ही करूंगा। आगे उसने लिखा है कि मेरा परिवार सामान्य है, किसान परिवार से मैं आता हूं। गुजरात में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़े ऐसा कोई कार्य मैंने नहीं किया है और ना ही करूंगा। अहिंसा के जरिए मैं राज्य की आवाज बनना चाहता हूं।
अंत में उसने लिखा है कि नौ महीने जेल में रहने के दौरान वह राजनीति में फैली गंदगी किस तरह साफ की जाती है वह बखूबी सीखा है। मैं कभी भी अमित शाह या भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं से कभी नहीं मिला हूं और यह बात मैं बार-बार कह चूका हूं इसके बावजूद मेरे मीडिया के दोस्त यह बारबार लिखते है। यह अमित शाह का आंदोलन नहीं है, समाज का आंदोलन है। अगर मैं किसी पार्टी से होता तो कब का मुक्त हो चुका होता।
वकील और चाचा ने की हार्दिक से मुलाकात
राजद्रोह के आरोप में लाजपोर सेंट्रल जेल में बंद हार्दिक पटेल को जमानत मिलने के बाद मंगलवार को उसके अधिवक्ता और चाचा उससे मिलने लाजपोर सेंट्रल जेल पहुंचे थे। यहां उन्होंने हार्दिक से करीब एक घंटे बातचीत की और कोर्ट ने जमानत पर बाहर रहने के दौरान उसे कोर्ट की किन शर्तो का पालन इसके बारे में समजाया। इसके अलावा अधिवक्ता ने जेल प्रशासन से मिलकर उसके जमानत के कागजात भी सौंपे। हालांकि जमानत के कुछ दस्तावेज अभी जेल प्रशासन को सौंपने बाकी है।