लखनऊ। उत्तर प्रदेश में तीज पर्व की धूम है। पतियों की लम्बी आयु के लिए सभी सुहागिन महिलाएं निर्जलाव्रत रखी हैं। सुहाग के सौभाग्य के लिए महिलाएं तीज का व्रत रखतीं है। रविवार को हाथों में मेहदी रचाया और जमकर खरीददारी भी कीं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, गोरखपुर, आगरा, मेरठ समेत सभी शहर के प्रमुख इलाकों में दुकानों के सामने बैठे मेहंदी रचाने वालों की छोटी दुकानें गुलजार हैं। महिलाओं के आने का सिलसिला अभी भी जारी है।
कपड़ों और गहनों की दुकानों पर भी भीड़ लगी रही। वाराणसी की 55 वर्षिय कमलावती यादव का मानना है कि पतियों की लंबी आयु से ही महिलाओं का सुहाग जुड़ा है। ऐसे में व्रत का महत्त्व ज्यादा है।
संगीता यादव तीज को वैज्ञानिक दृष्टि से देख रहीं है। इनका मानना है कि तेज व्रत रहने के पीछे पानी की बचत और शरीर की सफाई से सम्बन्ध को भी प्रदर्शित करने वाला है।
इसलिए इसे रहने से न सिर्फ भारतीय संस्कृति की रक्षा होती है बल्कि सुहाग की रक्षा का व्रत भी पूरा होता है।
हाथों पर मेहंदी रचाने वाले खलीलाबाद के देवनाथ, सुरेश और मटकू का कहना है कि तीज आने से आमदनी में इजाफा हो जाता है। तीन गुना तक लाभ कमाने से घर परिवार का सौभाग्य चमक जाता है।
भगवान शिव और पार्वती के पुनर्मिलाप के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए।
अंततः मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं।
पंडित रामायण शास्त्री के मुताबिक यह व्रत केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि कई जगहों पर पुरुष मां की प्रतिमा को पालकी पर बैठाकर झांकी भी निकालते हैं। सबसे पहले महिलाएं किसी बगीचे या मंदिर में एकत्रित होकर मां की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहने से सजाएं।
अर्धगोले का आकार बनाकर माता की मूर्ति बीच में रखें और माता की पूजा करें। सभी महिलाओं में से एक महिला कथा सुनाए, बाकी सभी कथा को ध्यान से सुनें व मन में पति का ध्यान करें और पति की लंबी उम्र की कामना करें।
कुछ जगहों पर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करने के पश्चात लाल मिट्टी से नहाती हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से महिलाएं पूरी तरह से शुद्ध हो जाती हैं। दिन के अंत में वह खुशी से नाचती-गाती और झूला झूलती हैं।