अयोध्या। राम की नगरी में विवादित ढांचे के 23 साल बीत चुके हैं। देश-दुनिया में बहुत कुछ बदला है पर अयोध्या में कुछ नहीं बदला। अयोध्या आज भी वही है जो आज से 23 साल पहले थी।
अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर था या मस्जिद यह लड़ाई कई दशकों से चल रही है। यह मामला 26 साल से अभी तक अदालत में है। इस मामले को लेकर लड़ाई लड़ रहे योद्धा अब बूढे हो चले हैं।
6 दिसम्बर को अपने आवास पर प्रतिदिन की तरह शांत मुद्रा में बैठे हाशिम अयोध्या में मंदिर मस्जिद के सवाल पर बिफर पडते हैं और कांपते हुए होठों से कहते हैं कि कुर्सी और करेंसी के लिए कभी कांग्रेस ने तो कभी भाजपा ने मंदिर-मस्जिद के मामले पर सियासत की। आज तक इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है।
जिस तरह से अयोध्या को लेकर सियासत की जा रही है। इन राज नेताओं से उम्मीद कम ही है। वहीं मोदी का नाम लेने पर हाशिम ने कहा कि मोदी ने देश के विकास में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। देश को जोडऩे का काम किया है। हमें उम्मीद है कि शायद मोदी अयोध्या के विवाद का हल निकाल सकते हैं।
इसलिए मरने से पहले मैं कम से कम एक बार मोदी से मिलना चाहता हूं। शायद बाबरी मस्जिद का मुद्दा हल हो जाए और राम लला कैद से आजाद हो जाएं।
इस बार विहिप के अयोध्या चलो आह्वान और संघ प्रमुख के बयान पर हाशिम अंसारी भड़क उठे थे और कहा था कि ये लोग सिर्फ राजनीति करना चाहते हैं।
सिंहल चले गए ये भागवत भी चले जायेंगे और मैं भी चला जाऊंगा। बहुत लोग आये और चले गए। हमें देश के कानून पर भरोसा रखना चाहिए। अयोध्या में मंदिर-मस्जिद का मामला कोर्ट से ही सुलझ सकता है। अगर भागवत में हिम्मत है तो अयोध्या आएं और मंदिर बना कर दिखाएं।