सबगुरु न्यूज-सिरोही। सांसद देवजी पटेल के नेतृत्व में जालोर लोकसभा क्षेत्र की सिरोही विधानसभा में निकाली गई तिरंगा यात्रा के दौरान तिरंगे के अपमान की रिपोर्ट दर्ज नहीं करने को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। राज्य सरकार के मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, सिरोही पुलिस अधीक्षक संदीपसिंह चौहान व सिरोही कोतवाली के थानाधिकारी हंसाराम सीरवी को नोटिस जारी किया है।
याचिका कर्ता पूरण कंवर की ओर से भारतीय संविधान की धारा के अनुच्छेद 226 सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना एवं प्रतीक और नाम, अनुचित उपयोग एवं रोकथाम, एक्ट 1950, राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 एवं 2002 के फलेग कोड ऑफ इंडिया के तहत न्यायाधीश पीके लोहरा की खण्डपीठ में याचिका दर्ज की गई। याचिका कर्ता के अधिवक्ता महेश बोडा व निशांत बोडा ने न्यायालय को बताया कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से 26 अगस्त को निकाली गई तिरंगा वाहन रैली में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया था।
उन्होंने बताया कि सिरोही पुलिस थाने में 26 अगस्त को याचिकाकर्ता की ओर से एफ.आई.आर. दी गई, जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। उक्त रैली में आरोपियों ने राष्ट्रध्वज का अनेक बार एवं अनेक जगह रैली के दौरान अपमान किया। इसके फोटो, वीडियो, प्रेस कटिंग सभी पुलिस को उपलब्ध कराये गये लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की।
याचिका में कहा गया है कि पांच से अधिक लोगो ने मिलकर यह कृत्य किया है इसलिए यह अपराध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 141, 143, 149 का भी अपराध है। इसी तरह प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट ऑफ नेशनल ऑनर एक्ट 1971 की धारा एवं फलेग कोड ऑफ इण्डिया के अन्तर्गत भी अपराध है, लेकिन दो महिने बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नही की है।
-पुलिस अधीक्षक से मिले पर नहीं दिया ध्यान
याचिका में बताया गया है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय ध्वज के मामले में 11 मार्च 2016 को सभी राज्य के मुख्य सचिवों को आदेश जारी कर इस संबंध में सख्त पालना के निर्देश दिये गये थे। इसी प्रति याचिकाकर्ता की ओर से पुलिस अधीक्षक संदीपसिंह चौहान को व्यक्तिगत उपस्थित होकर उपलब्ध करवाई गई। उस पर भी उन्होने कोई ध्यान नहीं दिया।
-सिरोही थानाधिकारी भी आए जद में
याचिका में बताया गया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 154(1) में थानाधिकारी की जिम्मेदारी बनती है कि वह संज्ञेय अपराध के मामले में मुकदमा दर्ज करें, लेकिन सिरोही पुलिस ने इसकी अवहेलना की। सर्वोच्च न्यायालय ने ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में स्पष्ट आदेश दिया कि अपराध के लिये पुलिस को अनिवार्य रूप से मुकदमा दर्ज करना है। पुलिस ने एफ.आई.आर. दर्ज नहीं करके सर्वोच्च न्यायालय की भी अवहेलना की है।
-यह था मामला
प्रधानमंत्री के आह्वान पर देश के अन्य इलाकों की तरह भाजपा जालोर सांसद देवजी पटेल के नेतृत्व में सिरोही में भी 26 अगस्त को तिरंगा यात्रा निकाली गई थी। इस दौरान कई जगह तिरंगे का अपमान होने की जानकारी सामने आई। मीडिया रिपोर्टें में भी प्रकाशित हुई।
इसके बाद कांग्रेस की जनप्रतिनिधि पूरण कंवर ने 27 अगस्त को सिरोही कोतवाली में एफआईआर दी थी। इसे लेकर पूर्व विधायक संयम लोढा और इसके बाद स्वयं याचिका कर्ता पूरण कंवर भी पुलिस अधीक्षक संदीपसिंह चौहान से मिले थे, लेकिन पुलिस अधीक्षक ने इस एफआईआर पर ध्यान नहीं दिया। बाद में आबूरोड से स्थानांतरित होकर आए थानाधिकारी हंसाराम सीरवी ने इस प्रकरण में एफआर लगा दी।
पुलिस अधिकारियों ने इसके पीछे राजनीतिक मजबूरी बताई थी, इसके बाद पूरण कंवर ने इस प्रकरण में हाईकोर्ट में याचिका दायर की हैं। इसमें पुलिस अधीक्षक व सिरोही कोतवाल समेत अन्य अधिकारियों पर सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करने की भी दलील दी गई है।
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