सिडनी। सत्यानंद योग आश्रम यौन शोषण मामलों की जांच के लिए बाल यौन शोषण के प्रति सांस्थानिक प्रतिक्रियाओं से संबंधित रॉयल कमीशन ने मंगलवार को आस्ट्रेलिया में एक जन सुनवाई आयोजित की।
न्यू साउथ वेल्स के मैंग्रोव माउंटेन पर स्थित सत्यानंद योग आश्रम से 1970 और 1980 के यौन उत्पीड़न के कई मामले दर्ज हुए थे। मामले और इसके पूर्व प्रमुख स्वामी अलकनंदा सरस्वती पर सुनवाई के पहले दिन उन 11 पीडितों की व्यथा सुनी गई जिनका 1970-1980 के बीच आश्रम में रहने के दौरान यौन उत्पीड़न किया गया था।
वकील पैगी डॉयर ने आयोग को बताया कि आश्रम में यौन गतिविधि को हतोत्साहित किया गया था, लेकिन इसके बावजूद इसके संयोजक सत्यानंद सरस्वती और उसका शिष्य अलकनंदा किशोरियों का यौन उत्पीडिन किया करता था।
आयोग को बताया गया कि 1974 में भारत से आस्ट्रेलिया जाने के बाद अलकनंदा ने 16 साल की किशोरी शिष्या के साथ यौन संबंध बनाए। दो सप्ताह तक चलने वाली इस सुनवाई में 25 से अधिक गवाहों के सबूत देने की उम्मीद है।
सत्यानंद योग आश्रम ने 2012 में अपना नाम बदलकर मैंग्रोव योग आश्रम कर लिया था, और स्वामी अलकनंदा सरस्वती को चार लड़कियों के साथ यौन दुराचार के 35 मामलों में आरोपी बनाया गया।
अलकनंदा को अभद्रता के आरोप में दोषी पाया गया था, और उसे 1989 में जेल भेज दिया गया। लेकिन 1997 में उसकी मौत से पहले उसकी छह साल की सजा को पलट दिया गया था